हिमाचल प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्रों को ट्राइबल एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत मिल रहे बजट में कटौती नहीं करेगी। यह बात शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने मंगलवार को विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक बिक्रम जरयाल द्वारा नियम 130 के तहत सदन में लाए गए प्रस्ताव के जवाब में कही। बिक्रम जरयाल ने 130 प्रस्ताव के माध्यम से सरकार से मांग की थी कि ट्राइबल सब प्लान के तहत हर साल जारी होने वाले बजट में से दो फीसदी हिस्सा प्रदेश के गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रही जनजातीय आबादी पर खर्च किया जाए। लेकिन मंत्री के जवाब से संतुष्ट बिक्रम जरियाल ने यह प्रस्ताव वापस ले लिया।
बिक्रम जरयाल ने प्रस्ताव में ट्राइबल सब प्लान के लिए स्वीकृत बजट में से दो फीसदी बजट प्रदेश के गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय लोगों के विकास पर खर्च करने की सरकार से मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुल्लू, कांगड़ा सहित कई अन्य जिलों में जनजातीय लोग रह रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां जनजातियों वाले लाभ नहीं मिल रहे नतीज़तन ये विकास में पिछड़ गए हैं।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने चर्चा में अपने आपको शामिल करते हुए गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय लोगों के विकास के लिए बजट में अलग से प्रावधान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ट्राइबल सब प्लान के बजट से किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों के विकास के लिए अतिरिक्त पैसे के प्रावधान की मांग की। जगत सिंह नेगी ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और कहा कि सरकार अगर गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए करना ही चाहती है तो अलग बजट का प्रावधान किया जाए। उन्होंने कहा कि ट्राइबल सब प्लान के पैसे को अन्य जगह डायवर्ट करना जनजातीय लोगों की रोटी छीनने के बराबर होगा।
130 के जवाब में सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में आबादी में हो रही वृद्धि के फलस्वरूप जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत आवंटित 9 फीसदी राशि का दो फीसदी हिस्सा गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों को आवंटित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वित्त विभाग से 2021-22 में योजना और गैर योजना का वर्गीकरण समाप्त होने के बाद जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के लिए आवंटित होने वाले कुल बजट के 9 फीसदी हिस्से को बढ़ाकर 11.23 फीसदी करने का मामला उठाएगी। ऐसे में मौजूदा 9 फीसदी बजट के अतिरिक्त मिलने वाली 2.23 फीसदी राशि को गैर जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय लोगों के विकास पर उनकी आवश्यकता के अनुसार विभिन्न योजनाओं पर खर्च किया जा सकेगा।