<p>हिमाचल के एक ऐसा जिला जिसने प्रदेश भर में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। जी हां, जिला सोलन ने काफी अच्छा सफर तय किया है और 1 सितंबर से इस जिले के 45 वर्ष पूरे होते हैं। पूरे सफर में अहम बात यह है कि सोलन में अधिकतर तरक्की यहां के नेताओं व सरकार से ज्यादा लोगों के दम पर ही हुई है।</p>
<p>1 सितम्बर, 1972 को सोलन को हिमाचल प्रदेश का जिला घोषित किया गया था। सोलन जिला पंजाब और महासू के हिस्सों को मिलाकर बनाया गया था। जिला बनने के बाद सोलन में तरक्की के आपार दरवाजे खुल गए एक बाद एक यहां कई ऐसी चीजें मिली जिससे जिला में जबदस्त तरक्की हुई। सोलन को कालका-शिमला राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर होने का काफी फायदा मिला। यहां पर देश के लगभग हर राज्य के लोग रहते हैं।</p>
<p>एक दैनिक अखबार के मुताबिक, सोलन को मशरूम सिटी ऑफ इंडिया का खिताब भी मिल चुका है और टमाटर के उत्पादन के कारण भी सोलन की अलग पहचान बन चुकी है। इसी प्रकार सोलन जिला का बी.बी.एन. क्षेत्र अब नए औद्योगिक क्षेत्रों के कारण अलग पहचान रखता है। पहले सोलन जिला के चम्बाघाट और परवाणु में उद्योग हुआ करते थे जिनमें कार्य करने के लिए अन्य राज्यों से भी लोग आते थे।</p>
<p>इसके अलावा सोलन को अलग पहचान देने में यहां पर स्थापित मोहन मिक्कन ब्रुरी कंपनी का योगदान भी काफी सराहनीय रहा है। यहां पर अस्पताल, पानी की नई स्कीमें, नई सड़कें, नए उद्योग व नए 8 विश्वविद्यालय स्थापित हुए हैं। नालागढ़-बद्दी क्षेत्र में उद्योग के क्षेत्र में क्रांति आई है लेकिन इस लिहाज से यहां पर सुविधाएं न बढऩे के कारण अब तरक्की लोगों के लिए सिरदर्द भी बनने लगी है।</p>
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