त्यौहारों के सीजन की शुरूआत के साथ ही ग्रामीण विकास विभाग ने ग्रीन दीवाली की तैयारियां शुरू कर दी हैं। विभाग बैंबूना-2 कार्यक्रम के तहत महिलाओं को मिट्टी और बांस के दीए बनाने का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। विकास खंड बंगाणा के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं दीए बनाने के साथ-साथ बांस के अन्य उत्पाद जैसे की ट्रे, पैन स्टैंड, मोबाइल स्टैंड, इको फ्रेंडली वूफर, की होल्डर आदि बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। इस संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि बैंबूना-2 के तहत 25 महिलाओं को बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
छह महीने की अवधि के इस कोर्स के दौरान वह बांस के विभिन्न उत्पाद बनाना सीखेंगी, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी। विशेष तौर पर आने वाले त्यौहारों को देखते हुए उन्हें बांस और मिट्टी के दीए इत्यादी बनाने को कहा गया है, जिसे बेचकर उन्हें अच्छी आय प्राप्त हो सकेगी। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि तैयार उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए विभाग ने बौल में हिमइरा के माध्यम से एक विक्रय केंद्र तैयार कर दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहन भत्ता भी प्रदान किया जाएगा। बैंबूना-2 के तहत 20 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं और यह कार्यक्रम नाबार्ड और ग्रामीण विकास विभाग मिलकर लागू कर रहे हैं। जिला ऊना में कच्चे माल के तौर पर बांस काफी मात्रा में उपलब्ध है तथा बांस के उत्पाद महिलाओं की आय का साधन बन सकते हैं।
वहीं, बीडीओ बंगाणा यशपाल सिंह ने कहा कि बैंबूना-2 के तहत अरलू में स्वयं सहायता समूह को जगह प्रदान की गई है, जहां एक अक्तूबर से उनका प्रशिक्षण शुरू हो गया है। अरलू निवासी अजय को वहां पर मास्टर ट्रेनर नियुक्त किया गया है, जो बांस के आकर्षक उत्पाद बनाने में निपुण हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह के तैयार उत्पादों के बाजार में सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है क्योंकि लोग पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूक हैं। बांस के उत्पाद इको फ्रेंडली हैं और इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।