हिमाचल

“पुरातन काल से चली आ रही है यह परंपरा, आज तक नहीं लगा कोई शुल्क”

शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि चुनाव से पहले सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए और दस गारंटियां देकर सत्ता में आई। सत्ता में आने के बाद वह अपनी सभी गारंटियां भूल गई और लोगों पर किसी न किसी प्रकार का बोझ डालना शुरू कर दिया।

कुल्लू का मेला हमारी सांस्कृतिक पहचान है। इस मेले में हज़ारों की संख्या में देश-विदेश से लोग आते हैं और मेले के साथ-साथ सांस्कृतिक संध्या का आनंद उठाते हैं। इस बार सरकार ने उस पर भी पाँच सौ रुपये का टिकट लगा दिया।

यह लोक परंपरा के और हमारी संस्कृति के ख़िलाफ़ है। इस फ़ैसले को सरकार वापस ले। हम अपनी सांस्कृतिक विरासत से किसी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दशहरा मेला साल में एक बार आता है और सरकार उस मेले में आने वाले लोगों से पैसा वसूलना चाहती है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल साझी संस्कृति का प्रदेश हैं। मेले हमारी सांस्कृतिक पहचान और लोक परंपराओं का वाहक हैं। यह मेले पुरातन काल से चले आ रहे हैं। इन मेलों में देश-विदेश के लोगों के साथ देवभूमि के देवी-देवता भी आते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम हमारी संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। इसलिए सरकार द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए प्रति व्यक्ति 500 रुपये का शुल्क लगाने का फ़ैसला निंदनीय है। उन्होंने कहा मेले के कारण प्रदेश सरकार को आय होती है। मेला कमेटी मेले में लगने वाले हर स्टॉल से एक निर्धारित किराया लेती है। इससे प्रशासन को आय होती है। अब मेले में आने वाले श्रद्धालुओं से भी पैसे लेना सही नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार आये दिन इस तरह के फ़ैसले ले रही है जो न तो हमारी संस्कृति के अनुकूल हैं और न ही जनभावना के। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश की महिलाओं को गारंटिया दी थी कि कि घर में एक महिला हुई तो पंद्रह सौ, दो हुई तो तीन हज़ार, चार हुई तो छह हज़ार रुपये मिलेंगे लेकिन यहां स्थिति अलग है।

अब अगर एक व्यक्ति है तो पाँच सौ, दो व्यक्ति है तो एक हज़ार और व्यक्ति चार है तो दो हज़ार रुपए देकर ही सांस्कृतिक संध्या में भाग लिया जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह प्रदेश के लोगों के साथ छल है। हम यह नहीं होने देंगे। सरकार को शुल्क लगाने की व्यवस्था वापस लेनी होगी।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार आये दिन हमारी परंपराओं में छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है। जो लोक और देव परंपराएं पहले से चल रही हैं, सरकार उनमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ न करें अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि इसके पहले सरकार ने माता चिंतपूर्णी के लिए भी वीआईपी दर्शन के लिए 1100 रुपये का शुल्क लगा दिया और कुल्लू दशहरे पर भी शुल्क लगाना चाहती है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के और भी तरीक़े हैं।

सरकार को उस पर काम करना चाहिए। हमारी आस्था के प्रतीकों के साथ खिलवाड़ करके राजस्व वसूली की अनुमति हम नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के प्रयोगों से बाज आए अन्यथा विपक्ष सड़कों पर उतर कर सरकार के इन तुग़लकी फ़ैसलों का विरोध करेगा।

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