पहाड़ों के सीना छलनी कर लिखी गई विकास की इबादत अब मनुष्य जीवन पर भारी पड़ने लगी है। दरकते पहाड़ विकास के नाम पर अब विनाश लीला कर रहे हैं। पहाड़ों के साथ जिंदगियां तबाह हो रही हैं। प्रकृति और मनुष्य के बीच का ये संघर्ष सदियों से चला आ रहा है। जब जब मनुष्य ने अपनी हदों को पार किया है प्रकृति ने उसको बौनेपन का अहसास करवाया है औऱ आज भी करवा रही है। लेकिन मनुष्य है कि जान कर भी अनजान बना बैठा है। किन्नौर जिला में विद्युत परियोजनाओं के नाम पर ब्लास्टिंग, टनल, खनन का ये परिणाम है जिसने पहाड़ों को खोखला कर दिया।
देश को पालने वाली नदियों में से अधिकतर का उदगम ही किन्नौर और स्पीति से होता है। जहां विकास के नाम पर छोटे बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। बिना सोचे समझे सरकारों ने इन प्रोजेक्ट को लगाने की अनुमति दे दी, जो नियमों को ताक पर रख़कर पहाड़ों का दोहन कर रहे हैं। ये पहाड़ों की नींव को खोखला कर चुके हैं। ग्लेशियर पिघल रहे है। बिन बारिश पहाड़ों से पत्थरों की बरसात हो रही है। एक वक्त आएगा जब पानी के लिए भी देश तड़प उठेगा तब हाइड्रो प्रोजेक्ट तो दूर विकास का कोई कार्य काम नहीं आएगा। किन्नौर में सतलुज नदी के बेसिन पर ही 22 बिजली प्रोजेक्टों का निर्माण किया गया है।
नेता किन्नौर जैसे हादसों के बाद मुआयना करने जरूर जाते है। मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा ऐलान भी कर आते हैं। लेकिन हादसों के पीछे असल वजह को जाने बिना कुछ दिनों में सबकुछ भूल जाते हैं। नेता ही क्यों सभी लोग हादसों को कुछ ही दिनों में भुला देते है। हां ये भयानक हादसे जो इनमें अपनों को खो देते है उनके लिए ताउम्र कभी न भरने वाले जख्म दे जाते है। आज फिर से हम पिछले कुछ हादसों की भी आपको याद दिला देते है जिन हादसों ने पूरे देश को हिला दिया था।
किन्नौर जिले के बटसेरी में पहाड़ टूटने से नौ सैलानियों की मौत हो गई। 12 जुलाई 2021 को कांगड़ा जिले के शाहपुर के रुलेहड़ गांव में भूस्खलन से 10 लोग मौत के मुंह मे समा गए। 12 अगस्त 2017 पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटरोपी में भूस्खलन में 49 की जान चली गई। 23 जुलाई 2015 को चट्टान गिरने से बस अनियंत्रित होकर पार्वती नदी में गिरी, 23 लोगों की मौत हो गई। 18 अगस्त 2015 को मणिकर्ण के ऐतिहासिक गुरुद्वारा में चट्टान गिरी, आठ की मौत हो गई। 18 अगस्त 2010 मंडी जिले के बल्ह के हटनाला में भूस्खलन से एक ट्रक खाई में जा गिरा 45 लोगों की मौत हो गई। 30 जुलाई,2021 सिरमौर जिला के पांवटा शिलाई हाटकोटी नेशनल हाईवे का करीब डेढ़ सौ मीटर का हिस्सा बड़वास के समीप पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
ये हादसे सिर्फ मृतकों की लाशों पर राजनीति तक सीमित न रहे तो अच्छा है बल्कि ऐसे हादसों से सीख लेने की ज़रूरत है। ताकि भावी पीढ़ियों को हम विनाश की इस लीला से बचा सकें। यदि अब भी व्यवस्था व सरकारें ने चेती तो बहुत देर हो जाएगी और मौत का ऐसा तांडव बद्दस्तूर जारी रहेगा।