हिमाचल प्रदेश में बीते कुछ समय से कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। समय-समय पर विपक्ष कोरोना से जुड़ी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल उठाता रहा है। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जनक राज ने आज प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों को संबोधित किया। डॉक्टर जनक राज ने कहा कि अस्पताल प्रशासन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में के लिए प्रयासरत है। सभी स्वास्थ्य कर्मी लगातार मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं और कोरोना से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।
जनकराज ने कहा कि यह एक महामारी है जो 100 साल बाद आई है। ऐसे में इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों का भी अभाव है। अस्पताल प्रशासन लगातार स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित कर रहा है। उन्होंने कोरोना मरीजों का आंकड़ा देते हुए बताया कि अब तक शिमला में 270 कोरोना के मरीज आ चुके हैं जिनमें फिलहाल और अभी फिलहाल अस्पताल में 84 मरीज हैं। उन्होंने लोगों से कोरोना के प्रति सजग और जागरूक रहने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना से के साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए क्योंकि फिलहाल कोरोना की वैक्सीन बनती नजर नहीं आ रही है। डॉक्टर जनक राज ने कोरोना मरीजों के साथ हो रहे भेदभाव की भी बात उठाई। उन्होंने कहा कि कोरोना मरीज ठीक होने के बाद भी लोग उनसे भेदभाव करते हैं जो बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि सभ्य और पढ़ा-लिखा समाज होने के नाते लोगों को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना मरीज मरीजों की काउंसलिंग के लिए भी व्यवस्था की गई है। अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर समय-समय पर कोरोना मरीजों की काउंसलिंग करते हैं और उनसे अनौपचारिक बातें भी करते हैं ताकि वह अकेला महसूस न करें।