कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में हींग और केसर की खेती को बढ़ावा दे रही है। प्रदेश सरकार ने केसर की खेती के साथ 800 और हींग की खेती के साथ 2000 किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है, ताकि किसानों की आय को दोगुना किया जा सके। कंवर ने कहा कि किसानों की आय में बढ़ौतरी के लिए आवश्यक है कि किसानों को फसलों के विविधिकरण की ओर प्रोत्साहित किया जाए। किसानों को दलहन और तिलहन की खेती की ओर ले जाना होगा, इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है। सरकार की प्राथमिकता सभी विभागों को एक साथ लेकर उन्हें एकरूपता के साथ कार्य करवाने की रहेगी।
उन्होंने कहा कि किसानों को जागरूक करने के लिए एकीकृत शिविर लगाए जाएंगे, जिसमें कृषि, पशु पालन, बागवानी तथा मत्स्य जैसे विभाग शामिल होंगे। इन शिविरों में गांव के प्रगतिशील किसानों को बुलाया जाएगा और सभी विभाग बारी-बारी से उन्हें एक ही स्थान पर जागरूक करेंगे। किसानों से उनकी प्राथमिकताएं के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी तथा उसी रूप में उन्हें विभाग की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वह आर्थिक समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
प्राकृतिक खेती के उत्पादों का होगा प्रमाणीकरण
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि अभी तक प्राकृतिक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। हिमाचल प्रदेश के पांगी में शिलाजीत व जीरा, कांगड़ा में लाल चावल तथा शिमला में राजमाह की प्राकृतिक खेती होती है, लेकिन प्रमाणीकरण के अभाव में उनका उचित मूल्य किसान को नहीं मिल पाता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से बात की है और केंद्रीय मंत्री ने उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
नरेंद्र तोमर ने उन्हें एक लिस्ट भेजने को कहा है कि किस उत्पाद की कितने एकड़ में प्राकृतिक खेती होती है। कंवर ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती का एक मॉडल तैयार किया है तथा प्रदेश सरकार इन प्राकृतिक उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करेगी तथा बड़े-बड़े महानगरों में उन्हें बिक्री के लिए भेजा जाएगा।