वैसे तो हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा गुटखा, खैनी व तंबाकू उत्पादों पर पुर्णत: प्रतिबंध लगा रखा है। बाबजूद इसके प्रदेश में धड़ल्ले से इन उत्पादों की विक्री हो रही है। युवा पीढ़ी से लेकर गुटखा खैनी के शौकीन जमकर इसका सेवन कर रहे हैं। जो सभी क़ायदे कानूनों को धत्ता दिखाकर सरेआम इसका उलंघन कर रहे हैं। राजधानी शिमला की पान, बीड़ी, सिगरेट बेचने वाली सभी दुकानों में तम्बाकू उत्पाद बिक रहे है पूछने वाला कोई नही है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि तंबाकू के प्रतिबंधित उत्पाद राजधानी शिमला समेत गाँव गाँव की दुकानों तक कहां से पहुंच रहे हैं।
प्रतिबंधित तम्बाकू उत्पाद सीमा पर तस्करों द्वारा दुकानदारों तक बड़े पैमाने पर पहुंचाए जा रहे है। प्रतिबंधित तंबाकू उत्पादों पर कार्रवाई के लिए सरकार द्वारा कई विभागों को शक्तियां सौंपी गई हैं लेकिन सीधे-सीधे किसी भी विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं होती। जिसके चलते इन तस्करों और दुकानदारों के हौंसले बुलंद हैं।
सरकार द्वारा प्रदेश में अधिनियम लागू कर गुटखा, खैनी व तंबाकू उत्पादों के भंडारण, विक्रय और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया था। जिसका उल्लंघन करते पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी तय की गई थी लेकिन मानों यह सब कागजों और फाइलों तक ही सीमित रह गया। धरातल पर बहुत कम ही कार्रवाई हो रही। प्रदेश में बड़े पैमाने पर तंबाकू उत्पादों के प्रयोग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सार्वजनिक स्थानों पर भारी संख्या में लोग गुटखा-खैनी का प्रयोग करते और थूकते आम दिखाई पड़ते हैं। लेकिन रोकने टोकने वाला कोई नहीं है।