हिमाचल टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिद्र सेठ ने कहा कि लगातार दूसरे वर्ष भी पर्यटन उद्योग कोरोना की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। सरकार द्वारा 7 राज्यों से हिमाचल आने वाले पर्यटकों को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लाने की एडवाइजरी जारी होने के बाद होटल ओर अन्य पर्यटन कारोबार ठप हो गया है। पिछले साल सात आठ महीनों के लॉकडाउन के कारण पूर्णतय पर्यटन उद्योग बंद रहने के कारण पर्यटन से जुड़े उधमियों की आर्थिक स्तिथि पहले ही दयनीय हो चुकी है। पिछले कुछ महीनों से पर्यटन व्यसाय धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगा था । परंतु कोरोना की दूसरी लहर के कारण उत्पन हुई परस्थिति ने पर्यटन उधोग की कमर तोड़ दी है।
हिमाचल के पर्यटन उद्योग केवल और केवल गर्मियों के सीजन की आमदन पर ही निर्भर करता है। होटलों का 65% के लगभग रेवेन्यू 15 मार्च से लेकर 15 जुलाई के बीच ही अर्जित किया जाता है। महारष्ट्र औक गुजरात से मार्च तथा अप्रैल के महीने में अधिकतर पर्यटक आते हैं। परंतु इन दोनों राज्यों में कोरोना विस्फोट होने के कारण पर्यटन व्यवसाइयों के हाथ से दो महीने का व्यापार खिसक चुका है। हिमाचल का वीकेंड टूरिज्म भी बंदिशों के चलते खत्म हो गया है। होटल इंडस्ट्री बहुत कठिनाईयों में है जो कमरे एक दिन खाली रह जाते हैं उनका रेवेन्यु लॉस की भरपाई दुबारा नहीं की जा सकती।
पर्यटन उद्योग से जुड़े उधमियों को अपनी इकाइयों को संचालित रख पाना असंभव हो गया है। क्योंकि जो थोड़ी बहुत आमदन हो रही थी जिससे उधमी कुछ न कुछ ख़र्च की भरपाई कर रहे थे वह भी बंद हो गई है। जो बिज़नेस ट्रैवलर बाहरी राज्यों से हिमाचल में सर्विस प्रोवाइड करने आ रहे थे वह भी ही हिमाचल में बिना नेगेटिव रिपोर्ट के नहीं आ पाएंगे इसीलिए बिजनेस ट्रेवलर्स ने भी हिमाचल के रुख करना बंद कर दिया है। हम सरकार से आग्रह करते है कि जो नेगेटिव रिपोर्ट की एडवाइजरी जारी की गई है उसे वापस लिया जाए। इसके अलावा पर्यटन उधोग को बचाये रखने के लिए सरकार को तुरंत होटलों तथा अन्य पर्यटन इकाइयों से बिजली के बिलों पर लगने वाले डिमांड चार्जेज को ख़त्म करना चाहिए।
पानी, गार्बेज फी, प्रॉपर्टी टैक्स के बिलों को रियाती दरों पर उपलब्ध करवाना चाहिए। बार लाइसेंस फीस को केवल 25% फी चार्ज की जानी चाहिए और अन्य सभी फीसें माफ करने का प्रावधान करना चाहिए। क्योंकि मौजूदा परस्थितियों से नहीं लगता कि आने वाले एक से दो वर्षों तक पर्यटन कारोबार आत्म निर्भर हो पायेगा। इन परस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए होटल तथा अन्य पर्यटन व्वसाय से जुड़े उधमियों को बिना कॉलेट्रॉल के, रियाती व्याज दरों पर वर्किंग कैपिटल लिमिट्स इत्यादि उपलब्ध करवानी चाहिए ताकि पर्यटन इकाइयों को आगामी समय मे संचालित रखा जा सके। पर्यटन इकाइयों द्वरा जो ऋण लिए गए हैं उनकी रीपेमेंट को बिना पेनेल्टी के कम से कम छह महीने के लिए डेफर करना चाहिए।
टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि उपरलिखित रियायतों के लिए केंद्र सरकार से हिमाचल के लिए एक स्पेशल आर्थिक पैकेज की मांग उठाएं। क्यूंकि हिमाचल में पर्यटन उधोग केवल गर्मियों के सीजन पर ही निर्भर रहता है जो कि लगातार दूसरे वर्ष भी पर्यटन उधमियों के हाथ से खिसकता नजर आ रहा है। यदि शीघ्र ही आखरी सांसे लेते हुए पर्यटन कारोबार को सरकार की तरफ से कोई मदद न कि गई तो पर्यटन उधोग पूर्णत डूब जाएगा। इसका असर सारे हिमाचल के कारोबारियों पर पड़ेगा। इसके साथ ही सरकार का खजाना भी इससे अछूता नहीं रहेगा। क्योंकि हिमाचल की जीडीपी का 8% से भी अधिक पर्यटन से ही आता है । इसके अलावा कर्मचारियों की नोकरियों जाने की संभावनाएं बड़ जाएंगी जिसके चलते हिमाचल में बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो जाएगी।