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धर्मशाला की वादियों में पर्यटकों ने जमकर की अठखेलियां

मनोज धीमान |

जिला कांगड़ा की पर्यटन नगरी धर्मशाला के नड्डी में इस वक्त तापमान माइनस में जा चुका है। बुधवार को बीते तीन दिनों की लगातार बारिश के बाद ताजा बर्फबारी रिकॉर्ड की गई। धर्मकोट, नड्डी, स्तोबरी, गलू, त्रियूंड, इंद्रहार और करेरी में जमकर बर्फबारी हुई। हालांकि इनमें से दुर्गम होने के चलते कुछ पर्यटन स्थलों पर सैलानी अपनी पहुंच नहीं बना पाए। लेकिन ताजा बर्फबारी का मजा लूटने सैंकड़ों की संख्या में सैलानी नड्डी पहुंचे और यहां बर्फ में खूब अठखेलियां की। कांगड़ा समेत हिमाचल के दूसरे जिलों और देश-विदेश के सैलानियों ने नड्डी का रुख किया और यहां कुदरत के इस नायाब तोहफे का खूब आनंद उठाया। नड्डी में निजी होटल के मालिकों की ओर से बाकायदा पर्यटकों के लिए कैंप फायर और डीजे की भी व्यवस्था की गई थी। जिसका पर्यटकों और युवाओं ने भरपूर लाभ उठाते हुए अपने मंसूबे को पूरा किया।

यहां पहुंचे तमाम पर्यटक इसलिए बेहद उत्साहित और खुश दिखे। चूंकि कई लोगों ने पहली मर्तबा आसमान से कॉटन की तरह बर्फ के बड़े-बड़े फाहे गिरते हुए देखे और पल भर में वादियों को बर्फ की सफेद चादर औढ़ते हुए देखा। ज्यादातर सैलानियों ने देवभूमि हिमाचल की इस खूबसूरती को निहारते हुए इसकी बेहद प्रशंसा भी की। सैलानियों ने अपने मनोभावों को व्यक्त करते हुए कहा कि ये कुदरत का वाकई में बेहत रोमांचित कर देने वाला तोहफा है और हमें इसका न केवल भरपूर लुत्फ उठाना चाहिए बल्कि कुदरत का जितना हो सके सम्मान करते हुए इसे ग्लोबल वार्मिंग से भी बचाना चाहिए। ताकि भविष्य में वो कुदरत के इस तरह के नायाब तोहफे से महरूम न हों।

भले ही सैंकड़ों सैलानियों ने धर्मशाला की वादियों में आकर बर्फबारी का भरपूर आनंद उठाया और खूब मनोरंजन भी किया। कुछ युवा यहां बाहर बैठकर जाम छलकाते भी नज़र आए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि पहाड़ी इलकों में आकर बर्फबारी का लुत्फ उठाना तो अच्छी बात है। लेकिन सार्वजनिक जगहों पर सरेआम जाम छलकाना कहीं की समझदारी नहीं है। लिहाज़ा हर साल इन इलाकों में बर्फबारी के दौरान सैकड़ों लोग बतौर सैलानी यहां की वादियों में सकून के पल गुजारने पहुंचते हैं। लेकिन नशे में चूर कई बार मदहोश हुड़दंगी माहौल भी खराब करने की कोशिश करते हैं, जिससे न केवल यहां के पर्यटन स्थल बदनाम होते हैं बल्कि यहां के लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं। इसकी ओर स्थानीय प्रशासन को भी ध्यान देने की सख्त ज़रूरत है।