हिमाचल

मंडी में मज़दूर संगठनों ने मोदी सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

सरकार की  नीतियों के ख़िलाफ़ आज देशव्यापी सँयुक्त ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर  मंडी में रैली निकाली और प्रदर्शन किया। जिसका नेतृत्व सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह और राजेश शर्मा इंटक के वाई पी कपूर और नरेश शर्मा एटक के ललित ठाकुर और मेघ सिंह पालसरा ने किया।सेरी मंच से रैली निकाली और उपायुक्त कार्यालय के गेट पर जनसभा आयोजित की गई।सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है।
देश में एकता और अखंडता को धर्म और जाति के आधार पर फैलायी जा रही हिंसा और नफ़रत से ख़तरा पैदा हो गया है।जनता का ध्यान मूलभूत आवश्यकताओं से हटाने की सोची समझी नीति सरकार द्धारा अपनायी जा रही है। जबकि देश में बेरोजगारी, महंगाई,गरीबी और भुखमरी बढ़ रही है।  सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है।इंटक के वाई पी कपूर ने कहा कि पिछले कुछ समय से पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है लेक़िन सरकार इसे नियंत्रण नहीं कर पाई है।
उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल सरकार बिजली बोर्ड का ट्राइफिकेन करने जा रही है और नए मीटर लगा कर कम्पनियों को फायदा पहुंचना चाहती है जिसका इंटक विरोध करती है।एटक के ललित ठाकुर और पालसरा ने कहा कि सभी मज़दूर संगठन  केंद्र सरकार से न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने की मांग कर रहे है।
वक्ताओं ने कहा कि हिमाचल सरकार निर्माण व मनरेगा मज़दूरों की सहायता रोक कर ग़लत कर रही जिसका खामियाजा कांग्रेस की सरकार को भुगतना पड़ेगा। सीटू ज़िला महासचिव राजेश शर्मा ने कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा के तहत 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने की मांग की।
उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश को रोकने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना को खत्म करने, महंगाई को रोकने और डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्करज़ सहित सभी योजना कर्मियों को नियमित करने, बिजली बोर्ड, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने व बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तेहबाज़री के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने की मांग की मांग से करेंगे।
प्रदर्शन में रेहड़ी फहड़ी यूनियन,मनरेगा व निर्माण मज़दूर यूनियन, मिड डे मील, आंगनवाड़ी, सीवरेज ट्रीटमैंट मज़दूर यूनियन, सफ़ाई, फोरलेन, राष्ट्रीय उच्च मार्ग, आईपीएस, पीडब्ल्यूडी और आउटसोर्स, मैडिकल रिप्रजेंटेटिव, बैकं, बीमा, टेलीकॉम, पोस्टल इत्यादि केंद्रीय यूनियनों के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया।
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