प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पोस्टिंग कहीं भी स्थायी नहीं है। कब ट्रांसफर का फतवा जारी हो जाए कहा नहीं जा सकता। आप शाम को बोरिया-बिस्तर समेट के ड्यूटी पर निकले नहीं कि दूसरी जगह का ट्रांसफल लेटर थमाया जा सकता है। दरअसल, कांगड़ा जिला के फतेहपुर में ठीक ऐसा ही वाकया पेश है, जिसके बाद ट्रांसफर का भूत हर किसी को घर कर गया है।
तहसील कार्यालय फतेहपुर में अर्से से तहसीलदार का पद खाली चल रहा था। तहसीलदार साहब आए, लेकिन महज एक दिन के लिए। सरकारी आदेशों के बाद तहसीलदार प्रोमिला धीमान ने फतेहपुर मे बीते मंगलवार शाम को अपनी ड्यूटी जॉइन की। लेकिन दूसरे दिन सुबह तहसीलदार कार्यालय में बैठते ही उन्हें नया ट्रांसफर ऑर्डर मिल गया। अब उन्हें सोलन में तैनात किया गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने कुछ दिन पहले तहसीलदारों को अलग-अलग जगह ज्वाइन करने के आदेश जारी किए थे। तहसीलदार फतेहपुर के रिक्त पद को भरते हुए एक तहसीलदार को 15 सितंबर तक ज्वाइन करने के आदेश जारी किए थे। मगर सरकार के आदेशों के बाद भी फतेहपुर में किसी भी तहसीलदार ने जॉइन नहीं किया है। जबकि सरकार ने 15 सितंबर तक उर्मिला धीमान को ज्वाइन करने के आदेश दिए थे।
बता दें कि 10 अक्तूबर 2017 से तहसीलदार फतेहपुर का पद खाली चल रहा है, जिस कारण लोगों को समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। फतेहपुर तहसील सबसे बड़ी तहसील है। इस तहसील में चार कानूनगो सर्किल और 27 पटवार खाने हैं। करीब 313 गांव आते हैं। इन क्षेत्रों के करीब एक लाख लोगों को अपने दस्तावेज बनाने के लिए तहसील कार्यालय फतेहपुर आना पड़ता है। मगर यह फतेहपुर वासियों का दुर्भाग्य है कि आज तक फतेहपुर में तहसीलदार का पद नहीं भरा गया है। जबकि तहसील कार्यालय में कानूनगो का पद भी खाली चला हुआ है।