कुल्लू बंजार में हुए भीषण बस हादसे ने परिवहन निगम के दावों की पोल खोल कर रख दी है। हिमाचल प्रदेश में ओवरलोडिंग की सख़्ती के बाद हर दिन धरने प्रदर्शन हो रहे हैं। स्कूली बच्चे तक बसों की समस्या को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं। लेकिन परिवहन विभाग कुम्भकर्ण की नींद सोया हुआ है। ये हम इसलिए कह रहे हैं कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की वर्कशॉपों और अड्डों में लंबे समय 300 बसें जंग खा रही हैं। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत ये बसें पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश को मिली थी।
एक तरफ 300 बसें जंग खा रही है तो दूसरी तरफ वर्तमान सरकार नई बसें खरीद रही है। निगम ने नई बसें भी खरीदी जिनमें इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं। जबकि निगम 200 और बसें खरीदने जा रहा है, जबकि निगम के हर डिपो में 10-15 बसें बेकार खड़ी हैं। जिनकी बीतें ढाई सालों से जरूरी मुरम्मत तक नहीं की गई है। परिणामस्वरूप ये बसें जंग खा रही हैं। इन बसों के रखरखाव के लिए केंद्र द्वारा 63 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान भी ख़त्म हो चुका है।