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बिलासपुर-लेह रेल मार्ग का फाइनल सर्वे करने के लिए लेह पहुंची तुर्की की जियोलॉजिस्ट टीम 

मृत्युंजय पुरी |

देव भूमि हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर – लेह रेल मार्ग जिसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी लेकिन प्रोजेक्ट अधर में लटका था। लेकिन अब जल्द ही इसका काम शुरू होने की उम्मीद है। रेलवे को चीन की सीमा तक पहुंचने को बिलासपुर-लेह रेललाइन का फाइनल लोकेशन सर्वे करने के लिए तुर्की के विशेषज्ञ हिमाचल पहुंच गए हैं।

टीम में पांच जियोलॉजिस्ट मौजूद हैं। वे 11 दिन तक लेह से बिलासपुर तक रेल लाइन में बनने वाले 87 पुलों, 66 सुरंगों और 15 स्टेशनों का रिफाइन सर्वे करेंगे। फेज-2 के फाइनल लोकेशन सर्वे के लिए परियोजना के मुख्य अभियंता हरपाल सिंह भी आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर संदीप सिंह और अलाइनमेंट इंजीनियर खुशबू के साथ लेह पहुंचेंगे।

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और रक्षा मंत्रालय का अहम प्रोजेक्ट होने के कारण बिलासपुर-लेह रेललाइन के सर्वे और निर्माण कार्य की जिम्मेदारी उत्तर रेलवे को सौंपी गई है। इस रेललाइन को आधुनिक तकनीक से बनाया जाएगा। फाइनल रिफाइन सर्वे को तुर्की के पांच जियोलॉजिस्ट की विशेष टीम लेह पहुंची है। 

26 नवंबर को परियोजना के उत्तर रेलवे के मुख्य अभियंता हरपाल सिंह, यूक्सेल प्रोजेक्ट तुर्की की अलाइनमेंट इंजीनियर, स्ट्रक्चरल इंजीनियर 11 दिन तक फाइनल लोकेशन का सर्वे शुरू करेंगे। तुर्की से लेह पहुंची जियोलॉजिस्ट की टीम को कोरोना काल में विशेष अनुमति देकर बुलाया गया है। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ, उत्तर रेलवे की टीम और तुर्की से आए विशेषज्ञों के दल के साथ मिलकर सर्वे को पूरा करेंगे। 

परियोजना के मुख्य अभियंता हरपाल सिंह ने बताया कि तुर्की से आए विशेषज्ञ रेललाइन में बनने वाले पुलों, सुरंगों और स्टेशनों की फिजिकल और तकनीकी जांच करेंगे। मैदानी क्षेत्रों में रेललाइन का स्टेशन करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर बनता है। हिमाचल और लेह में पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते यहां 20 किमी की दूरी पर स्टेशन बनेगा। जिस स्टेशन की दूरी इससे ज्सदा होगी, वहां क्रॉसिंग स्टेशन बनेंगे।

कब हुई शुरूआत ? 

आपको बता दे की बिलासपुर लेह रेल मार्ग लंबे समय से लटका था। लेकिन 2016 में सभी विवादों को सुलझा के इसके काम का अवार्ड भी कर दिया गया था। सबसे बड़ी समस्या पंजाब और हिमाचल के बॉर्डर की आ रही थी। जिसे उस समय सुलझा लिया गया था और 10 किलोमीटर के रेल मार्ग को फाइनल कर दिया गया था। उस समय हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और जमीन अधिग्रहण का काम भी उसी दौरान पूरा कर लिया गया था । जानकारी के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार से उस समय 110 करोड़ की मदद भी हिमाचल सरकार को मिली थी । 10 किलोमीटर के पैच के बाद बिलासपुर से बरमाणा सीमेंट प्लांट के ट्रक यूनियन की जमीन तक रेल मार्ग का सर्वे भी पूरा कर लिया गया था ।