<p>कांगड़ा जिला के दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल के लोगों ने बैमौसमी सब्जियां उगाकर अपनी तकदीर बदल डाली है। छोटा भंगाल क्षेत्र में लगभग 2700 हेक्टेयर भूमि ही कृषि योग्य है। सरकार की सहायता किसानों की मेहनत और कृषि विभाग के सहयोग एवं परामर्श से सभी प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग से यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में बेहतरीन कार्य हुआ है। परम्परागत खेतीबाड़ी से 4 से 5 हजार रुपये प्रति कनाल कमाने वाले यहां के किसान बेमौसमी सब्जी का उत्पादन कर 25 हजार रुपये प्रति कनाल तक कमा रहे हैं।</p>
<p>इस क्षेत्र के किसानों ने अपनी परंपरागत खेतीबाड़ी से हटकर नकदी और बेमौसमी सब्जी का उत्पादन कर आर्थिकी को मजबूत किया है। यहां लगभग 700 हेक्टेयर क्षेत्र में बंद गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, मूली और धनिया का उत्पादन हो रहा है। छोटे से क्षेत्र मे लगभग 7000 टन बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन हो रहा है, जिससे किसानों को लगभग 11 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हो रही है। किसानों को अपने उत्पादनों को बेचने के लिए भटकना न पड़े इसके लिये सरकार ने मुल्थान में ही सब्जी मण्डी स्थापित की है। इसके अतिरिक्त किसान अपने उत्पाद सीधे प्रदेश के अन्य भागों के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़ और दिल्ली आदि क्षेत्रों में अच्छे भाव पर बेच रहे हैं।यहां के प्रगतिशील किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि का भी प्रशिक्षण दिया गया है। कोठी-कोहड़ के रूप लाल़ और बड़ाग्रां के जसवंत सिंह तथा रूप लाल यहां के लोगों को प्राकृतिक खेती के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।</p>
<p>जिला कृषि अधिकारी कुलदीप धीमान ने बताया कि यहां के किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया जा रहा और कृषि विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं का लाभ एवं जानकारी किसानों को दी जा रही है। कृषि विभाग द्वारा यहां नाबार्ड की सहायता से 2 करोड़ से एकीकृत जलागम परियोजना के तहत ग्राम पंचायत कोठी कोहड़, बड़ागा्रं, घरमान, मुल्थान और लुआई इत्यादि में स्प्रींकलर सिंचाई सुविधा आरंभ की गई है। जिससे यहां के किसानों को सिंचाई आदि की सुविधा उपलब्ध होने से सब्जी उत्पादन में अच्छी वृद्धि हुई है। इसके अलावा किसानों को उन्नत शंकर किस्म के बीज़ अनुदान पर उपलब्ध करवाने के साथ-साथ नकदी फसलों को अधीनस्थ क्षेत्र को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।</p>
<p>विषयवाद विशेषज्ञ बैजनाथ सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि विभाग समय-समय पर किसानों के लिए प्रशिक्षण एवं कृषि भ्रमण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। यहां के किसानों को बंद एवं फूल गोभी की पनीरी उगाने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। इसके अलावा आतमा परियोजना के तहत महिलाओं को भी सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है और महिलाओं के कृषक समूह बनाकर यहां की महिलाओं को भी आत्म निर्भर बनाया जा रहा है।</p>
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