Follow Us:

निजी स्कूलों के संचालन के लिए इसी विधानसभा सत्र में कानून लाए सरकार – विजेंद्र मेहरा

पी.चंद, शिमला |

निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, फीस वृद्धि पर रोक लगाने, टयूशन फीस कुल फीस का पचास प्रतिशत से अधिक न हो व केवल टयूशन फीस वसूली को लेकर छात्र अभिभावक मंच ने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। मंच ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि निजी स्कूलों में फीस, पाठ्यक्रम औऱ विषयवस्तु को संचालित करने के इसी विधानसभा सत्र में कानून पारित किया जाए। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा औऱ अन्य सदस्य ने हैरानी जताई है कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों की मनमानी औऱ भारी लूट के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी और लूट रोकने के लिए लगभग एक वर्ष पूर्व कानून का प्रस्ताव सौंप दिया था। पर प्रदेश सरकार जान बूझ कर इस प्रस्ताव को विधानसभा में प्रस्तुत नहीं कर रही है। अगर वाकई में प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के 6 लाख छात्रों और 9 लाख अभिभावकों के प्रति गम्भीर है तो फिर इसी विधानसभा सत्र में इस प्रस्ताव को पेश किया जाए औऱ निजी स्कूलों के संचालन के लिए कानून पारित किया जाए। सन 1997 के कानून और वर्ष 2003 के नियमों में निजी स्कूलों को संचालित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए शीघ्र ही यह कानून बनना बेहद आवश्यक है। उन्होंने निजी स्कूलों के संचालन के लिए उच्च शिक्षा की तर्ज़ पर रेगुलेटरी कमीशन बनाने की मांग की है। निजी स्कूलों की लूट रोकने के लिए राज्य सलाहकार परिषद का गठन करने की मांग की है।

उन्होंने कोरोना काल में प्रदेश सरकार से केवल टयूशन फीस वसूली के आदेश को लागू करने की मांग की है और सभी तरह के चार्जेज पर रोक लगाने की मांग की है। सभी स्कूल अपनी फीस बुकलेट जारी करें। सभी स्कूलों की मदवार फीस का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए। निजी स्कूलों के प्रबंधन की तानाशाही और भारी लूट पर रोक लगाने की मांग की है। प्ले वे स्कूलों की फीस को पूरी तरह माफ करने की मांग की है क्योंकि कोरोना के कारण प्ले वे स्कूलों में बच्चे एक भी दिन स्कूल नहीं गए।

प्रदेश सरकार, निदेशक उच्चतर शिक्षा औऱ प्रारम्भिक शिक्षा को चेताया है कि वर्ष 2019 की तर्ज़ पर केवल टयूशन फीस लेने के निर्णय को अगर अक्षरशः लागू न किया गया, टयूशन फीस तिमाही के बजाए हर महीने के आधार पर न वसूली गयी,सभी तरह के चार्जेज को माफ और सम्माहित न किया गया,टयूशन फीस को रेशनेलाइज़ न किया गया व प्ले वे स्कूलों की फीस को पूरी तरह माफ न किया गया तो आंदोलन तेज होगा। विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों में सम्माहित करने में आनाकानी कर रहे हैं और न ही इस बढ़ी हुई फीस को वापिस लौटा रहे हैं। कैबिनेट के निर्णय के अनुसार वर्ष 2019 की तर्ज़ पर ही निजी स्कूल टयूशन फीस वसूल सकते हैं। लेकिन ये स्कूल वर्ष 2019 के बजाए वर्ष 2020 की फीस बढ़ोतरी के साथ यह टयूशन फीस वसूल रहे हैं।

इन स्कूलों ने पिछले वर्ष टयूशन फीस, एनुअल चार्ज, एडमिशन फीस, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, स्पोर्ट्स चार्ज, केयरज़ फंड, मिसलेनियस फंड, बिल्डिंग फंड, डेवेलपमेंट फंड और अन्य सभी प्रकार के फंड और फीस के रूप में विभिन्न मदों में ली गयी फीस को इस वर्ष केवल टयूशन फीस में सम्माहित कर दिया है और पिछले वर्ष की तुलना में टयूशन फीस को चार से पांच गुणा बढ़ाकर अभिभावकों पर कोरोना काल की तिमाही में ही दस से पन्द्रह हज़ार रुपये का अतिरिक्त बोझ लाद दिया है। बहुत सारे निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 प्रतिशत फीस टयूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है। इन की टयूशन फीस को रेशनेलाइज़ किया जाए औऱ उसी आधार पर अभिभावकों से फीस वसूली जाए। टयूशन फीस किसी भी रूप में कुल फीस के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए। इसके लिए पूरा मैकेनिज़्म तैयार किया जाना चाहिए।