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ऐसा गांव जहां कोई नही करवाना चाहता बच्चो की शादी

समाचार फर्स्ट |

शादी..किसे अच्छी नही लगती पर बिलासपुर जिले मे एक ऐसा भी गांव है जहां लोग नही चाहते कि उनके बच्चो की शादी वहां हो। इसकी वजह है वहां का पिछड़ापन और सड़क सुविधा न होना। इसके साथ ही यहां के अधिकतर बच्चे अनपढ़ है।

पिछड़ा क्षेत्र कोटधार के धनी पंचायत का खरली गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम है। लोगो को लगभग 8 किलोमीटर पैदल चलकर बाजार तक पहुंचना पड़ता है। किसी भी राजनेता द्वारा इस ओर ध्यान नही गया है। लोगों का कहना है कि आजतक सरकार द्वारा इस क्षेत्र को अनदेखा किया गया है। वही कामकाज, रहन-सहन, खानपान में भी इस गांव के लोग पीछे है। आज के दौर में अधिकतर लोगों के घरों में गैस चूल्हा नही होगा। फ्रिज, रंगीन टीवी देखने को नही मिलेगा।

इलाज के लिए जाना पड़ता है पैदल

गांव के लोगो को छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी 8 किलोमीटर दूर पैदल चलना पड़ता है और ज्यादा गंभीर बीमारी वाले मरीज को पालकी में उठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। कोई भी लड़के या लड़की की शादी इस गांव में नही करवाना चाहता। लोगो का आरोप है कि राजनेताओ और लोक निर्माण विभाग को इस समस्या के बारे में लिखित रूप से कई बार अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन हर बार एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है 'फाइल तैयार हो गई है। विभाग को भेज दी है। जल्द ही बजट आ जाएगा।' लेकिन आज तक न बजट आया और फाइलें पता नही कहां धूल फांक रही है।

कुंभकर्ण की नींद सोया है विभाग

लगभग 800 आबादी वाले क्षेत्र को सड़क की सुविधा से तो परेशान होना ही पड़ रहा है, साथ मे पानी व बिजली के लिए भी समस्याओ से दो चार होना पड़ रहा है। लोगो ने प्रशासन व विभाग से मांग की है कि सभी समस्याओं का समाधान न निकाला तो वे उग्र आंदोलन करेगे। इसके साथ ही झंडूता स्थित कॉलेज जाने के लिए 55 किलोमीटर व कलोल कॉलेज जाने के लिए 45 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है।

इस समस्या के बारे में उच्च विभाग को कई बार लिखा गया है, लेकिन जब वहां से सभी दस्तावेज पूरे हो गए तो प्रदेश में सरकार बदल गई। इस कारण इस सड़क का निर्माण नही हो पाया। कई बार तो सड़क के मैप को बदला गया, रफ मैप सही न होने के कारण भी इस सड़क को बनने नही दिया।

तीन किलोमीटर दूर एक स्कूल, एक अध्यापक

ग्राम पंचायत धनी के उपप्रधान सोहन लाल का कहना है कि खरली गांव के अधिकतर बच्चे अनपढ़ है। प्राथमिक व उच्च पाठशाला खरली गांव मे एक ही स्थान पर है, लेकिन वह लगभग तीन किलोमीटर दूर है। स्कूल तक का रास्ता अधिकतर सुनसान है। एक अध्यापक है, जिसे पूरा दिन डाक व अन्य कामो से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में पढ़ाई का कार्य प्रभावित होता है। कई अध्यापक नेताओ के दम पर तबादला करवा लेते हैं, जिससे तंग आकर लोग बच्चो को स्कूल भेजना बंद कर देते हैं।