शिमला के ऐतिहासिक टाउन हॉल पर बेशक टूरिज्म के एडीबी प्रोजेक्ट से एक साल पहले ही 8 करोड़ खर्च किए गए हों लेकिन इसकी हालत ख़स्ता हो गई है। बरसात का पानी छत से टपक रहा है। मेयर और डिप्टी मेयर के कमरों में पानी टपक रहा है और खिड़कियों से भी लीकेज है। पानी से लकड़ी ख़राब हो रही है। जब से टाऊन हॉल का जीर्णोद्धार हुआ है इसके घटिया निर्माण पर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन आज तक इसमें दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने टाऊन हाल का उद्घाटन किया उस वक़्त ही इसमें लगी घटिया सामग्री की पोल खुल गई थी। लेकिन विभाग की लीपापोती का खामियाजा आज भी इस इमारत, इसमें बैठने वाले मेयर और डिप्टी मेयर को भुगतना पड़ रहा है।
शिमला की मेयर सत्या कौंडल ने बताया कि उनके कमरों में पानी टपक रहा है। जिसको लेकर पर्यटन विभाग से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन अभी तक किसी तरह का काम नही हुआ है। शिक्षा मंत्री स्वयं इसका निरीक्षण करके आए थे। उन्होंने कार्यवाही का आश्वासन दिया है। मामले की जांच होनी चाहिए ताकि घटिया कार्य मे संलिप्त दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जा सके। क्योंकि टॉप फ्लोर से लेकर ग्राउंड फ्लोर तक पानी रिस रहा है। जिस पर करोड़ों रुपए खर्च किया गया लेकिन नतीज़ा शून्य रहा।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1908 में बने इस ऐतिहासिक भवन में 2014 तक टाउनहाल भवन में नगर निगम कार्यालय चल रहा था। इस दौरान भवन के जीर्णोद्धार का फैसला लिया। एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से जारी आठ करोड़ रुपये से पर्यटन विभाग ने इसके जीर्णोद्घार का काम शुरू किया। यह काम 2017 तक पूरा होना था, लेकिन देरी के चलते यह काम अगस्त 2018 में जाकर पूरा हुआ। उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद अभी तक नगर निगम शिमला के मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यालय ही यहां से काम करता है।