राजधानी शिमला की नगर निगम की सत्ता के साथ प्रदेश सरकार भी बदल गई लेकिन, शिमला की पानी की समस्या नहीं बदली। नगर निगम चुनावों में पानी सबसे बड़ा मुददा था। बीजेपी ने पानी को मुद्दा बनाकर चुनाव तो जीत लिया लेकिन, अब तक पानी की समस्या नहीं सुलझा पाई है। शिमला में गर्मियां शुरू होते ही पेयजल की समस्या विकराल हो गई है। लोगों को तीन से चार दिन बाद पानी उपलब्ध हो रहा है। वह भी आधे घंटे के लिए। जिससे लोगों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
शिमला के लोग पानी की समस्या को लेकर काफी नाराज दिखे। लोगों का कहना है कि उन्होंने नगर निगम और सरकार में बीजेपी को बदलाव के लिए वोट दिया लेकिन, पानी की समस्या जस की तस बनी हुई। नगर निगम ने शहर में पिछले अप्रैल से पानी महंगा तो कर दिया है, लेकिन लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। परिणामस्वरूप लोग अब सरकार और नगर निगम के ख़िलाफ़ खुलकर बोलने लगे हैं।
वहीं, मेयर कुसुम सदरेट का कहना है कि शिमला शहर को हर दिन 45 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है। इन दिनों पर्यटन सीजन चल रहा है, जिस कारण पानी की मांग 55 एमएलडी तक बढ़ गई है। लेकिन लीकेज के बाद शहर में 35 एमएलडी से भी कम ही पानी की आपूर्ति हो रही है। शहर में अधिकांश पाइप लाइन कई साल पुरानी हैं जिनमें लीकेज है। गर्मियों में भी यदि ऐसी लीकेज रही तो शिमला शहर के लोगों को पीने के लिए भी पानी नसीब नहीं हो पाएगा।
शिमला की पेयजल परियोजनाएं
नाम क्षमता कितना पानी मिला
गुम्मा 19 एमएलडी 9 एमएलडी
गिरी 22 एमएलडी 18 एमएलडी
चेड़ 2 एमएलडी 0.59 एमएलडी
चुरट 2.50 एमएलडी 1.78 एमएलडी
कोटी बरांडी 3 एमएलडी 0.48 एमएलडी