देश के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण अत्यन्त आवश्यक: राज्यपाल
राज्यपाल ने 41 अग्रणी महिलाओं को सम्मानित किया
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि महिलाएं विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि सृजन से लेकर समाज को स्थापित करने तक का काम करने वाली नारी शक्ति सम्मानीय है।
राज्यपाल ने पुरस्कार प्राप्त करने वाली अग्रणी महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश की महिला शक्ति को समाज के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और वे अन्य महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनकर उभरेंगी।
उन्होंने कहा कि आज अनेक महिलाएं विकास के शिखर को छू चुकी हैं और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं। शुक्ल ने कहा कि महिलाओं ने न केवल पुरुष प्रधान समाज में खुद को साबित किया है बल्कि समाज का नेतृत्व भी कर रही हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोहों का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने अक्सर देखा है कि पदक और डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक होती है, जो गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि इस सामाजिक बदलाव के पीछे महिलाओं का आत्मविश्वास, कड़ी मेहनत और जज्बा है, जो उन्हें असाधारण बनाता है।
उन्होंने कहा कि एशियाई खेल हों या पैरालंपिक, सबसे ज्यादा महिलाओं के नाम मेडल आए हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत की नारी शक्ति एक नई ताकत, नए आत्मविश्वास के साथ जीवन के हर पहलू में सफलता के कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
शिव प्रताप शुक्त प्रदेश में नशा सेवन की बढ़ती प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें समाज से इस बुराई को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिएं। राज्यपाल ने कहा कि इसके लिए उन्होंने प्रयास किया है कि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के समय छात्रों को नशा न करने की शपथ लेनी होगी। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को भी इसे लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नशे की लत से लोगों की जान बचाने का अभियान है और उम्मीद व्यक्त की कि नशामुक्ति की इस मुहिम में समाचार पत्र भी उनका साथ देंगे।
शुक्ल ने कहा कि मीडिया हमारी सामाजिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग एवं लोकतंत्र का प्रमुख स्तम्भ है। इस संबंध में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि अमर उजाला ने इस दिशा में विशेष पहल की है और इस तरह का मंच प्रदान कर अपने क्षेत्र में सफल महिलाओं को सम्मानित करने का कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा कि साधारण पृष्ठभूमि की लड़कियां अपनी इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत के बल पर सभी चुनौतियों को पार कर रही हैं तथा खेल, संगीत, कला, विज्ञान और रक्षा आदि सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि नारी का सम्मान हमारी संस्कृति का आधार रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक भारत तक हमारा इतिहास महिलाओं के योगदान की कहानियों से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषियों और रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होल्कर जैसी वीर नारियों के योगदान के उल्लेख के बिना हमारा इतिहास अधूरा है’।
राज्यपाल ने कहा कि अमृत काल में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और देश वर्ष 2025 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। विकसित भारत के इस लक्ष्य को शीघ्र प्राप्त करने में महिलाओं का योगदान आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी केवल महिलाओं की है। उन्होंने कहा देश के विकास के लिए इस आधी आबादी की जरूरत है जो अभी भी सशक्त नहीं है और कई सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है। ऐसे में महिलाओं में सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि हमें मिलकर ऐसा माहौल बनाना होगा जहां सभी महिलाएं सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में पूरी तरह से भाग लें और अपना योगदान दे सकें।
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