<p>आज के दिन यानी की 18 अप्रैल को मनाया जाता है इंटरनेशनल डे ऑर मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स इसे वर्ल्ड हैरीटेज डे भी कहा जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित, सुरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित करना है। 2018 के लिए वर्ल्ड हैरीटेज साइट्स का थीम हैरीटेज ऑर जेनरेशन है। दुनिया भर में 1,052 हैरीटेज साइट्स हैं जिनमें से 36 भारत में हैं।</p>
<p>कालका-शिमला रेल मार्ग शिमला की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इस धरोहर को बने हुए पूरे 114 साल पूरे हो चुके हैं। ट्रैक में करीब 102 टनल, 864 के करीब ब्रिज और 919 मोड़ हैं। रोजाना करीब 10 रेलगाड़ियां आती जाती हैं। इस ट्रैक को साल 2008 में विश्व धरोहर का दर्जा मिला था।</p>
<p>कालका-शिमला रेल मार्ग को तिहासिक धरोहर में शामिल किये हुए दस साल हो चुके है. वर्ल्ड हेरिटेज डे के मौके पर रेलवे के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को शिमला रेलवे स्टेशन में धरोहर शपथ दिलाई गई और रेलवे को साफ़-सुथरा रखने का प्रण लिया गया। इस मौके पर 112 साल पुराने स्टीम इंजन को भी पटरी पर दौड़ाया गया। रेलवे शिमला के एड़ीईन डीके बजाज ने बताया की शिमला कालका रेलवे हेरिटेज लाइन को साफ़ सुथरा रखने में वह कटिबद्ध है रेलवे सफाई के इस अभियान को आगे भी जारी रखेगा।</p>
<p>9 नंवबर 1903 में इस रेल मार्ग की शुरूआत हुई थी। यह रेलवे ट्रैक टूरिस्ट के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है। रोजाना हजारों पर्यटक प्रकृति के सुंदर नजारों का लुत्फ लेते इस पर सफर करते हैं। 102 पुल और चार मंजिला स्टोन आर्च पुल और मनमोहक घाटियों से गुजरने वाला यह कालका-शिमला हेरीटेज ट्रैक टूरिस्ट को आकर्षित करता है।</p>
<p>कालका-शिमला रेलवे ट्रैक का निर्माण कार्य 1898 में शुरू हुआ था। उस दौरान इसके निर्माण के लिए 86 लाख 78 हजार 500 रुपए बजट रखा गया था, लेकिन निर्माण पूरा होते वक्त यह बजट बढ़कर दोगुना हो गया. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी ब्रिटिश चीफ इंजीनियर एचएस हेरलींगटन को दी गई थी।</p>
<p>9 नवंबर 1903 को वायसराय लार्ड कर्जन ने इसकी शुरुआत की थी। शिमला-कालका के 96 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर छोटे-बड़े करीब 18 रेलवे स्टॉपेज और स्टेशन हैं। ये कालका, टकसाल, गुम्मन, कोटी, सनावर, धर्मपुर, कुमारहट्टी, बड़ोग, सोलन, सलोगड़ा, कंडाघाट, कनाह, कैथलीघाट, शोघी, तारादेवी, जतोग, समरहिल और शिमला शामिल हैं। कालका से शुरु होने वाले इस विश्व धरोहर रेल मार्ग पहाड़ों और घुमावदार मोड़ों से पहाड़ों की रानी शिमला तक सैलानियों को पहुंचाता है।</p>
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