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केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों को लेकर गरजे मजदूर, इंटक और एटक ने संयुक्त रूप से बददी में की हड़ताल

पी.चंद, शिमला |

इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस एवं ऑल इंडिया नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने संयुक्त रूप से 26 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम संहिताओं में बदलने के मजदूर विरोधी निर्णय और अन्य कई मांगों को लेकर हड़ताल की। हड़ताल की अगुवाई इंटक के प्रदेशाध्यक्ष बबलू पंडित और एटक की ओर से जिलाध्यक्ष सतीश शर्मा ने की।

यह रही मांगे

इस मौके पर मजदूर प्रतिनिधियों ने मांग कि 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम संहिताओं में बदलने के मजदूर विरोधी निर्णय को वापस लिया जाए, किसान विरोधी कानून वापस लिए जाएं,  स्वामीनाथन कमीशन की सिपारिशों को लागू किया जाए, वर्तमान जीवनयापन सूचकांक के आधार पर राष्ट्रीय न्यूनतम  वेतन 21 हजार रूपए प्रतिमाह घोषित किया जाए, सरकारी कांट्रेक्ट, ठेकेदारी प्रथा और आऊटसोर्स प्रणली को खत्म किया जाए, मजदूरों और कर्मचारियों को पक्का रोजगार दिया जाए, उच्चतम न्यायालय के फैसल के अनुसार समान काम समान वेतन की नीति को लागू किया जाए, फिक्स टर्म रोजगार के निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए और स्थायी रोजगार दिया जाए, बैंक, बीमा, बीएसएनएल, पोस्टल, रक्षा, बिजली, रेलवे, कोयला, बंदरगाहों, एनटीपीसी, एसजेवीएनएल, बीएचईएल (भेल), एनएचपीसी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सार्वजनिक क्षेत्रों का विनिवेश व निजीकरण बंद किया जाए।

साथ ही एलआइसी में देशविरोधी आइपीओ के निर्णय को वापस लिया जाए, केंद्र सरकार महंगाई को रोकने के लिए उचित कदम उठाए, डिपुओ में राशन व्यवस्था को मजबूत किया जाए, वर्ष 2003 के बाद नियुक्त हुए सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन के स्थान पुरानी पेंशन बहाल योजना को लागू किया जाए, आंगनबाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्कर को सरकारी कर्मचारी बनाया जाए और पेंशन लाभ दिया जाए, मोटर व्हीकल एक्ट में परिवहन मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापस लिए जाएं, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन का काम दिया जाए और उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन दिया जाए, रेहड़ी-फड़ी और तहबाजारी की सुरक्षा के लिए स्ट्रीट वैंडरज एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए, सभी मजदूरों को भविष्य निधि ईएसआई व अन्य सामाजिक सुरक्षा दायरे में लाया जाए।

औद्योगिक मजदूरों को न्यूनतम  वेतन अन्य मजदूरों की अपेक्षा 40 प्रतिशत अधिक दिया जाए, सेवाकाल के दौरान मृत कर्मचारियों के सभी आश्रितों को बिना शर्त करूणामूलक आधार पर नौकरी दिया जाए, केंद्र सरकार की महिला कर्मचारियों का पूर्ण वेतन सहित दो वर्ष की चाइल्ड केयर लीव दी जाए, सेवारत सरकारी कर्मचारियों को 556 वर्ष की आयु तथा 30 वर्ष की नौकरी के बाद जबरन रिटायर करना बंद किया जाए, 108 व 102  एंबुलेंस कर्मियों के लिए नीति बनाई जाए व उन्हें एनआरएचएम के तहत लाया जाए तथा कोरोना काल में बेरोजगार हुए मजदूरों के वेतन में बिना किसी कटौती के उन्हें दोबारा रोजगार उपलब्ध करवाया जाए।