बिलासपुर जिला के कसोहल गांव के रहने वाले विचित्र सिंह ने प्रदेश सरकार की 'प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान' के सपने को साकार करने का काम किया है। एक निजी स्कूल में अध्यापक पद पर कार्यरत विचित्र सिंह ने प्राकृतिक खेती को अपनाकर ना केवल जहरमुक्त खेती को बढ़ावा दिया है बल्कि कई किसानों को शून्य बजट खेती के लिए जागरूक भी किया है। वहीं, विचित्र सिंह ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से केवल सब्जियां ही नहीं उगाई बल्कि हर्बल के क्षेत्र में भी काम करना शुरू कर दिया है।
केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की जयराम सरकार जहां प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के माध्यम से किसानों को रासायनिक खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने का सन्देश दे रहे हैं तो वहीं हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी गाय के गोबर से होने वाली प्राकृतिक खेती के महत्त्व को जानते हैं। समय-समय पर किसानों से प्राकृतिक खेती करने की अपील करते आये हैं। वहीं, सरकार के खुशहाल किसान के सपने को साकार करने का काम किया है।
विचित्र सिंह पिछले तीन सालों से प्राकृतिक खेती करते आ रहे हैं। सितंबर 2018 में झांसी में शून्य बजट प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद विचित्र सिंह ने अकेले ही इसकी शुरुआत अपने गांव में की और किसानों को जागरूक करने का काम भी किया। नतीजे सामने आने के बाद देखते ही देखते 25 से 30 स्थानीय किसान इस खेती से जुड़ते चले गए।
आज विचित्र सिंह लगभग 16 बीघा जमीन पर शून्य बजट प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। जहां उन्होंने सूरजमुखी और मक्की सहित कई तरह की सब्जियां और हर्बल के क्षेत्र में अश्वगंधा, कालमेघ और अरकरा जैसी जड़ी-बूटियां उगाने का काम कर रहे हैं। शून्य बजट प्राकृतिक खेती की जानकारी देते हुए विचित्र सिंह ने बताया की उन्होंने एक देसी गाय के गोबर और गौमूत्र से घना अमृत और जीवा अमृत सहित नीमास्त्र, ब्रहअस्त्र तैयार कर खेती कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने किसानों से शून्य बजट प्राकृतिक खेती करने और रासायनिक खेती को छोड़ने की अपील की है ताकि मिलावटी सब्जियों से छुटकारा मिल सके और स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके।