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जब भूखे मरने की सजा मिले पिता को जिंदा रखने के लिए अपना दूध पिलाने लगी बेटी

पी. चंद |

यह एक तस्वीर है। जिसे देखकर आप सभी के मन में तरह तरह के ख्याल आते होंगे, लेकिन इसमें एक मार्मिक दास्तां छुपी हुई है। इसकी सच्चाई जानकर आपकी आखें नम हो जाएंगी। एक महिला का जीवन में क्या महत्व हो सकता है। महिला में ममता कितनी होती है। इसकी एक बानगी है ये तस्वीर।

ये पेंटिंग यूरोप  पेंटर "अल्फ्रेड पीटर मुरीलो" ने बनाई है। कहा जाता है कि यूरोप में एक व्यक्ति को उसके गुनाह के लिए भूखे मरने की सजा दी गई।सज़ा के बाद उसे एक जेल में बंद कर दिया गया। ये फ़रमान था कि जब तक उस व्यक्ति की मौत नही हो जाती तब तक उसे भूखा रखा जाए। सज़ा के दौरान उस व्यक्ति की बेटी ने अपने पिता से मिलने के लिए सरकार से अनुरोध किया कि वह हर रोज अपने पिता से मिलेगी। उसे मिलने की इजाजत दे दी गई।

बताया जाता है कि पिता से मिलने से पहले उसकी तलाशी ली जाती थी  कि वह कोई खाने का सामान साथ तो नही  ले जा रही है। भूख से तड़पते व तिल तिल कर मरते पिता की हालत बेटी से देखी नही गई। लड़की अपने पिता को जिंदा रखने के लिए अपना दूध पिलाने लगी। कई दिनों तक ये सिलसिला जारी रहा। जब कई दिन बीत जाने पर भी वो आदमी नही मरा तो पहरेदारों को शक हुआ।  और उन्होंने उस लड़की को अपने पिता अपना दूध पिलाते हुए पकड़ लिया।

बेटी पर मुकदमा चला ओर सरकार ने कानून से हटकर भावनात्मक फैसला सुनाते हुए उन दोनों बाप बेटी को जेल से रिहा कर दिया गया। ये पेन्टिंग यूरोप की सबसे महंगी पेन्टिंग है। नारी कोई भी रूप में हो चाहे माँ हो, चाहे पत्नी हो, चाहे बहन हो, चाहे बेटी। हर रूप में वात्सल्य त्याग एवं ममता की मूरत है। इसलिए नारी का सम्मान करें।