<p>जम्मू के सुंजवान कैंप में आतंकियों के हमले में सैनिकों के कई परिवार वाले घायल हुए हैं। इस दौरान राइफलमैन नजीर अहमत की गर्भवती पत्नी भी गोली लगने से बुरी तरह घायल हो गई। हालांकि, वक़्त रहते उन्हें सेना के सतवारी स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने पहले बच्चे की डिलवरी कराने की सोची। क्योंकि, यही एक रास्ता था, जिससे मां और बच्चे को बचाया जा सके।</p>
<p>डॉक्टरों का फैसला काम आया और मां तथा बच्चा दोनों को सुरक्षित बचा लिया गया। इस वक़्त दोनों अस्पताल में भर्ती हैं और ख़तरे से बाहर हैं। दरअसल, जब आतंकियों ने सैनिकों के रिहायशी कैंप पर हमला बोला उस दौरान नजीर अहमद की गर्भवती पत्नी बाहर टहल रही थीं। तभी आतंकियों की गोली उन्हें लग गई। हालांकि, गनीमत इस बात की रही कि गोली उनके बाहरी शरीर पर लगा और पेट में पल रहे बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।</p>
<p>गोली लगने के बाद ज्यादा खून बहने से हालत लगातार नाजुक हो रही थी। लेकिन, सेना के डॉक्टरों ने इस हालात से भी उन्हें और उनके बच्चे को बचा लिया।</p>
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