साल 2005 में अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में हुए धमाका मामले में कोर्ट ने 4 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही प्रयागराज की स्पेशल कोर्ट ने एक आरोपी मोहम्मद अजीज को बरी कर दिया है। बता दें कि पिछली 11 जून को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने निर्णय के लिए 18 जून की तारीख निर्धारित की थी। डीजीसी गुलाब चन्द अग्रहरि ने बताया कि अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस 11 जून को समाप्त हो गई थी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
घटना पांच जुलाई 2005 की सुबह नौ बजकर 15 मिनट की अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि परिसर की है। वादी पीएसी के दलनायक कृष्ण चन्द सिंह द्वारा बिना विलंब के दिन के दो बजे थाना राम जन्मभूमि में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। घटना को पांच आतंकियों द्वारा अंजाम दिया गया। जिनका इरादा बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने के लिए राम लला मंदिर को ध्वस्त करना था।
पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों में आतंकियों पर 2 सम्प्रदायों के बीच शत्रुता बढ़ाने और साम्प्रदायिक सौहार्द को नष्ट करने तथा एक सम्प्रदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का इरादा था। हमला करने वाले पांचों आतंकियों ने रामलला परिसर की बेरीकेटिंग को विस्फोट कर उड़ा दिया था। परिसर में तैनात सुरक्षा बलों ने मौके पर ही पांचों आतंकियों का मार गिराया था। घटना मेे दो नागरिकों की भी मौत हुई और सात लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे।
मारे गए आतंकियों से बरामद मोबाईल फोन के सिम की जांच से घटना की साजिश रचने और आतंकियों को असलहे तथा वाहन उपलब्ध कराने में अभियुक्त आशिक इकबाल उर्फ फारुक, मो0 नसीम, मो0अजीज, शकील अहमद और डा।इरफान का नाम प्रकाश में आया। पुलिस ने इन्ही पांचाें अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया है।
जिला न्यायालय फैजाबाद ने पांचों अभियुक्तों के खिलाफ 19 अक्तूबर 2006 को आरोप तय किया गया था। मुकदमे की पत्रावली आठ दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट के आदेश से सुनवाई के लिए जिला न्यायालय इलाहाबाद अंतरित होकर आई थी। सुरक्षा कारणों से मुकदमें की सुनवाई नैनी जेल परिसर में हो रही है। पांचों अभियुक्तगण नैनी जेल में बंद है। अभियोजन की ओर से 57 गवाहों सहित कोर्ट द्वारा तलब गवाहों को मिलाकर कुल 63 गवाह पेश किए गए हैं।