पंजाब कांग्रेस में 24 घंटे की हलचल के बाद नए सीएम चेहरे पर मुहर लग चुकी है. राहुल गांधी के दिल्ली आवास पर हुई बैठक में सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर मुहर लगा दी गई. सीएम रेस में जैसे ही सुखजिंदर रंधावा ने बाजी मारी, उसके बाद हर किसी की दिलचस्पी रंधावा के बारे में जानने की है.
कौन हैं सुखजिंदर सिंह रंधावा ?
सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब के मांझा क्षेत्र से संबंध रखते हैं. गुरदासपुर जिले के रहने वाले रंधावा जट सिख समुदाय से आते हैं. कैप्टन सरकार में जेल एवं कॉरपोरेशन मंत्री थे. लेकिन, अब 62 साल की उम्र में सीएम पद हासिल करने जा रहे हैं. राजनीतिक करियर की बात करें तो डेरा बाबा नानक से तीन बार विधायक रहे हैं. 2002, 2007 और 2017 में इन्होंने अपने विरोधियों को चुनावी मैदान में चित किया है.
सुखजिंदर रंधावा ने कांग्रेस संगठन के लिए भी काफी काम किया है. राज्य में पार्टी के उपाध्यक्ष और जनरल सेक्रेटरी भी रहे हैं. पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो कांग्रेस से इनका संबंध पुश्तैनी तौर पर है. इनके पिता संतोख सिंह भी एक कद्दावर नेता थे और मांझा रिजन में उनका काफी बोलबाला था. संतोख सिंह भी प्रदेश कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रह चुके थे. परिवार में कांग्रेसी माहौल होने के चलते रंधावा का भी वैचारिक झुंकाव इसी पार्टी की ओर रहा.
सुखजिंदर सिंह रंधावा शिरोमणि अकाली दल और खासकर बादल परिवार के धुर विरोधी के तौर पर देखे जाते हैं. अकाली दल के खिलाफ सख्त लहजे में इनके बयान अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं. साथ ही साथ बिक्रम सिंह मीजिठिया से भी इनकी ठनी रहती है. रंधावा ही वह शख्स थे जिन्होंने 2015 में बेअदबी मामले में पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ जोरदार आवाज उठाया था.
रंधावा को मुख्यमंत्री पद देना पंजाब में कई एंगल से अहम है. दरअसल, पंजाब तीन रिजन में बंटा हैं. मालवा, मांझा और दोआब. विधानसभा की कुल 117 सीटों में से मालवा के हिस्से में तकरीबन 60 सीटें हैं. ऐसे में अभी तक देखा जाए तो मालवा क्षेत्र से पंजाब के मुख्यमंत्रियों की संख्या काफी ज्यादा है. कैप्टन अमरिंदर सिंह हों या फिर बादल परिवार, ये लोग मालवा रिजन से संबंध रखते हैं. लेकिन, सुखजिंदर सिंह रंधावा मांझा क्षेत्र से आते हैं और इस क्षेत्र में विधानसभा की तकरीबन 22 सीटें हैं. मांझा में रंधावा का दबदबा काफी ज्यादा माना जाता है