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अरे वाह! ड्रोन के जरिए उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके से अस्‍पताल तक पहुंचाया ब्‍लड सैंपल

समाचार फर्स्ट डेस्क |

एक मानव रहित विमान (ड्रोन) के जरिए शुक्रवार को टिहरी जिले के एक दुर्गम स्‍थान से 36 किलोमीटर दूर खून के नमूने सफलतापूर्वक पहुंचाए गए। यह अपनी किस्‍म का एक अनूठा प्रयोग रहा, इसकी कामयाबी से ग्रामीण इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की उपलब्‍धता में क्रांति आ सकती है।

ड्रोन ने खून के ये नमूने एक दुर्गम इलाके के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र (पीएचसी) से टिहरी के बुराड़ी जिला अस्‍पताल तक पहुंचाए। सड़क से ये नमूने यहां तक पहुंचाने में जितना समय लगता उससे बहुत कम समय में ड्रोन ने यह कर दिखाया। जिला अस्‍पताल के चीफ मेडिकल सुपरिन्‍टेंडेंट डॉ. एस. एस. पांगती ने हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया कि यह प्रयोग टिहरी गढ़वाल में चल रहे टेलि-मेडिसिन प्रोजेक्‍ट का एक हिस्‍सा था।

यह प्रयोग टेलि-मेडिसिन प्रोजेक्‍ट का एक हिस्‍सा था

डॉ. पांगती ने कहा, 'ड्रोन ने नंदगांव पीएचसी से बुराड़ी हॉस्पिटल तक की 36 किलोमीटर की दूरी महज 18 मिनट में पूरी की, जबकि सड़क के जरिए यहां तक पहुंचने में 70 से 100 मिनट तक लगते हैं। ड्रोन में ब्‍लड सैंपल के अलावा एक कूलिंग किट भी थी ताकि सैंपल खराब न हो जाएं।'
ड्रोन में ब्‍लड सैंपल के अलावा एक कूलिंग किट भी थी

इस ड्रोन को सीडी स्‍पेस रोबॉटिक्‍स लिमिटेड नाम की फर्म ने बनाया था जिसके मालिक निखिल उपाधे हैं जो आईआईटी कानपुर के छात्र रह चुके हैं। यह कंपनी भविष्‍य के यातायात के नजरिए से अतिआधुनिक ड्रोन विकसित कर रही है। उपाधे का कहना है, 'हमने जो ड्रोन बनाए हैं उनमें कूलिंग किट के साथ-साथ आपातकालीन दवाओं और ब्‍लड यूनिट को ट्रांसपोर्ट करने की क्षमता है।

कुल मिलाकर, ये 500 ग्राम वजन ले जा सकते हैं और एक बार में चार्ज करने पर 50 किलोमीटर तक का सफर कर सकते हैं।' उपाधे ने बताया कि एक ड्रोन को बनाने में लगभग 10 लाख रुपयों का खर्च आने का अनुमान है। उन्‍होंने जानकारी दी कि आने वाले हफ्तों में आपातकालीन दवाओं को इसी तरह भेज कर ट्रायल रन किया जाएगा।