लग़ातार हो रहे वित्तीय घाटे से बीएसएनएल कंपनी को इन दिनों बंद करने की चर्चाएं जोरों पर हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी सरकार भी इस सरकारी कंपनी से हो रहे घाटे पर नज़र बनाए हुए हैं और इस संबंध में शीर्ष अधिकारियों को सचिव द्वारा निर्देश भी दिए गये हैं। फिलहाल विकल्प खंगाले जा रहे हैं और यदि विकल्प नहीं मिला तो कंपनी बंद हो सकती है। बताया तो ये भी जा रहा है कि यदि सरकार ने इसे बंद नहीं किया तो ये BSNL किसी कंपनी में मर्ज हो सकती है।
अग़र कंपनी को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता तो कंपनी में लगभग 67 हज़ार कर्मचारी पर गाज गिरेगी। इसके साथ ही विकल्प के तौर पर कंपनी 50 फ़ीसदी कर्मचारियों को वीआरएस भी देने की बात कर रही है, जिससे 3 हज़ार करोड़ की बचन होने को कहा गया। इसके अलावा रिटायरमेंट की उम्र को भी घटाने की बात कही जा रही है।
वीआरएस के संबंध में कंपनी ने कहा है कि वह इसके लिए 56-60 साल की उम्र वाले कर्मचारियों को टार्गेट करेगी, जिससे 67,000 कर्मी इसके दायरे में आ जाएंगे। विभिन्न मदों में अनुग्रह राशि 6,900 करोड़ रुपए से 6,300 करोड़ रुपए होगी। इस मौके पर कंपनी के लिए एक बड़ी मुसीबत भारी संख्या में उसके कर्मचारी भी हैं।