सोलन। युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहे 42 साल के कैप्टन हिमांशु कैप्टन हिमांशु मारवाह अब इस दुनिया में नहीं रहे। दुबई के कतर में बीते दिन उनकी हृदय गति रुकने से मौत हो गई है। इस दुखद सूचना से हर कोई स्तब्ध है। हिमाचल और सोलन से हिमांशु बेपनाह मोहब्बत करते थे।
दस साल मर्चेंट नेवी में नौकरी करने के बाद हिमांशु ने दुबई के दोहा कतर में अपनी दो कंपनीज शुरू की। लगभग 150 से अधिक लोग उनके पास काम करते थे। अपनी मिट्टी से लगाव इतना था कि दुबई में हिमांशु ने अपने पानी के जहाजों के नाम सोलन सुबाथू , चायल , डगशाई रखो। सबसे छोटे जहाज का नाम देलगी रखा था। विदेशी जमीन पर हिमांशु ने अपना और क्षेत्र का नाम रोशन किया। वीरवार को उनका पार्थिव शरीर सुबाथू पहुंचा और उनके जन्म स्थान पर उन्हें अंतिम विदाई दी गई। हर किसी की आंखें नम थी।
समाज सेवा को समर्पित हिमांशु का परिवार
विश्व भर में कोरोना महामारी में भी उन्होंने सुबाथू के छावनी अस्पताल सहित पीएचसी में परिवार की ओर से लोगों के लिए भरपूर योगदान दिया। उनके पिता स्वर्गीय प्रमोद मारवाह भी सुबाथू में समाजसेवी के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने भी अपने मरणोपरांत अपनी आंखों की रोशनी जरूरतमंद को दान दी थी।
निधन पर शोक की लहर
सुबाथू के युवा साथी हिमांशु मारवाह को अंतिम विदाई देते हुए सैंकड़ो आंखे नम नजर आई। वही सुबाथू की सभी सामाजिक संस्थाओं ने हिमांशु मारवाह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा की उनका छोटी सी उम्र में संसार को ऐसे छोड़ जाना क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी हानि है।उन्होंने सुबाथू के नाम को विदेश में खूब चमकाया है।
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