केंद्र सरकार ने सोमवार को रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने ASG तुषार मेहता के बयान पर गौर किया और रोहिंग्या समुदाय से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए 3 अक्तूबर की तारीख तय की है।
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने का मौलिक अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को है। केन्द्र ने रोहिंग्या शरणार्थियों और उनके यहां निवास को अवैध बताया और कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं।
केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि, संविधान में प्रदत मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में रिट अधिकार का प्रयोग सिर्फ देश के नागरिकों को उपलब्ध है, अवैध आव्रजकों को नहीं। इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को कहा कि सरकार का रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार निर्वासित करने का फैसला देश हित में था। रिजिजू ने कहा कि सरकार जो भी करेगी, वह देश हित में होगा।"
सर्वोच्च न्यायालय रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार भेजने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। रिजिजू ने कहा कि सरकार का कदम देश हित पर आधारित होगा। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं से भारत का दुष्प्रचार नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, "भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और देश की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।"