भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने मून मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई सोमवार तड़के 2.51 बजे लॉन्च करेगा। लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी। इसे भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च के सफल होने के बाद करीब 55 दिन में 6 और 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा।
चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे। वहीं, ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए विक्रम और प्रज्ञान से मिले डाटा के पृथ्वी पर स्थित इसरो केंद्र के भेजेगा। इस प्रोजेक्ट की लागत 1000 करोड़ रुपए है। अगर मिशन सफल हुआ तो अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चांद पर रोवर उतारने वाला चौथा देश होगा।
चंद्रयान-2 मिशन की डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव है। रितु के मुताबिक तारों ने मुझे हमेशा अपनी ओर खींचा, मैं सोचती कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है। विज्ञान मेरे लिए विषय नहीं जुनून था। रितु ने इसरो में कई अहम प्रोजेक्ट किए पर मंगलयान की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में इस मिशन को सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं। इस मिशन में डॉ. आलोक धवन, डायरेक्टर हैं। देश के लिए गौरवान्वित करने वाले इस खास मिशन में कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों की भूमिका काफी अहम है क्योंकि यहीं के वैज्ञानिकों ने इस मिशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर तैयार किया है।
यह सॉफ्टवेयर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. आशीष दत्ता व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. केएस वेंकटेश ने बनाया है। इसे मोशन प्लानिंग और मैपिंग जेनरेशन सॉफ्टवेयर नाम दिया गया है। यह वह सॉफ्टवेयर है जो चंद्रयान-2 के छह पहिए वाले रोवर ‘प्रज्ञान’ को चांद की सतह पर रास्ता दिखाएगा जिसके जरिए प्रज्ञान चांद पर पानी और खनिज की तलाश करेगा। वहां की स्थिति का फोटो खींचकर इसरो को भेजेगा। इस मिशन को लाइव भी देखा जा सकेगा जिसके लिए कई लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।