अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेस करके मोदी सरकार पर एबीजी शिपयार्ड के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए। सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा कि जनता के पैसा लुटवाओ और फ्रॉडस्टर को भगवाओ, ये मोदी सरकार की लूटो और भागो फ्लेगशिप स्कीम है। 22 हजार 842 करोड़ रुपए का घोटाला मोदी सरकार के नाक तले हुआ है।
उन्होंने कहा कि साढ़े 7 साल में मोदी सरकार में 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड हुए हैं। यह पहली बार नहीं है। मोदी की लूट और स्केप स्कीम के कई मोहरे देश ने देखें। जिसमें नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, अमीर मोदी, निशल मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन संदेसरा, रिषी अग्रवाल शामिल है।
सुरजेवाला ने कहा कि 8 नवंबर 2019 को एसबीआई ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा। सीबीआई ने एफआईआर दर्ज नहीं और फाइल वापस भेज दी। जनता का पैसा लूटा जा रहा था और सीबीआई और एसबीआई पत्र- पत्र खेल रहे थे। दूसरी बार एसबीआई ने 25 अगस्त 2020 सीबीआई को लिखा। डेढ़ साल 7 फरवरी 2022 को पांच साल बाद एफआईआर दर्ज हुई । एसबीआई ने जो चिट्ठी लिखी उसमें लिखा कि बैंकिंग अधिकारी निर्दोष है।
मोदी सरकार पर जड़े गंभीर आरोप
रणदीप का आरोप है कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम रहते हुए एबीजी शिपयार्ड को 2007 में एक लाख 21 हजार स्क्वायर मीटर जगह अलॉट करवाई। यह खुलासा कैग की रिपोर्ट में है। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। इसके बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एबीजी शिपयार्ड को गुजरात में सरकार की एक्वायर हुई जमीन में से 50 हेक्टेयर जमीन ओर दे दी। तीसरा रुचिकर तथ्य यह है कि रिषी अग्रवाल और एबीजी शिपयार्ड चार वाइब्रेंट गुजरात समिट में नरेंद्र मोदी के साथ 22 हजार करोड़ की इन्वेस्टमेंट कमिट कर चुका है।
चौथा रुचिकर तथ्य 2013 में कोरिया गए तो उनके डेलिगेशन में रिषी अग्रवाल नाम का ही व्यक्ति ही शामिल है। कांग्रेस के देश की सरकार के सीधे सवाल है। जब एबीजी शिपयार्ड को दिवालिया घोषित करने की प्रकिया 1 अगस्त 2017 को चालू हो गई थी। तब पांच साल एफआईआर करने में क्यों लगे। चौकीदार सांझीदार तो नहीं है। रिषी अग्रवाल अब हिंदुस्तान के नागरिक नहीं है। वे अब सिंगापुर के नागरिक हैं।