महाराष्ट्र में हुए उप-चुनावों के बाद से सियासी सिलसिला काफी गर्म है। यहां जारी सियासी संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट की ओर सबकी निगाहें हैं। महाराष्ट्र संकट पर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी, मुकुल रोहतगी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में मौजूद हैं और इस मामले पर बहस फिलहाल कोर्टरूम में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में बहस और दलीलों का सिलसिला चला हुआ है।
शिवसेना की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने SC में कथित जल्दबाजी का जिक्र किया जिसके द्वारा राष्ट्रपति शासन को रद कर दिया गया था और महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन किया गया था। उन्होंने कहा कि यह इतिहास में कभी नहीं किया गया है। कपिल सिब्बल ने पूछा कि राष्ट्रीय आपातकाल क्या था? जिसे राष्ट्रपति शासन में 5:17 मिनट पर हटाया गया था और सुबह 8 बजे शपथ दिलाई गई थी। राष्ट्रपति शासन को सुबह 5.17 बजे हचाया गया गया जिसका मतलब है कि सुबह बजे से पहले सब कुछ हुआ।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा है कि मैं इस याचिका के खिलाफ हलफनामा दायर करूंगी। इस मामले में अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है। फ्लोर टेस्ट की मांग पर बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फ्लोर टेस्ट अंतिम टेस्ट नहीं है। कोई भी पार्टी यह नहीं कह सकती है कि इसे 24 घंटे में आयोजित किया जाए। एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना की सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कहना है कि इस तरह के मामलों में अदालत के पिछले फैसले का हवाला देते हुए अधिकांश मामलों में 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट किया गया, कुछ में 48 घंटे में किया गया है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि हमें 2-3 दिनों का समय दें और हमें जवाब दाखिल करने दें। राज्यपाल ने पूर्ण विवेक से 23 नवंबर को सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित किया। भाजपा का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और कुछ निर्दलीय विधायकों ने देवेंद्र फडणवीस के समर्थन वाले महामंत्री सीएम अजीत पवार के पत्र का उल्लेख किया है।