उतराखंड के एक स्कूल में विरोध करने का एक नया जरिया सामने आया है। जब दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली एक महिला द्वारा तैयार किये गए भोजन को खाने से समान्य वर्ग के बच्चों ने मना कर दिया तो दलित समाज के बच्चों ने समान्य वर्ग के लोगों द्वारा बनाए खाने को नहीं खाया।
ये वाक्या चंपावत जिले के सुखीड़ग गांव का है। जंहा पर छठी से आठवीं में पढ़ रहे 66 में से 23 दलित बच्चों ने समान्य वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोगों द्वारा बनाए गए भोजन को खाने से मना कर दिया।
छात्रों का कहना था कि अगर सामन्य वर्ग के बच्चे अगर उनके समाज की महिला द्वारा बनाए गए भोजन को नहीं खाएंगे तो वे भी समान्य वर्ग का बहिष्कार करेंगे।
इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब पिछले हफ्ते सामान्य वर्ग के छात्रों ने दलित समाज से ताल्लुक रखने वाली महिला सुनीता देवी द्वारा बनाए गए भोजन को खाने से मना कर दिया। सुनीता को स्कूल ने 13 दिसंबर को इस कार्य के लिए रखा था। इस विरोध के बाद सुनीता को 21 दिसंबर को नौकरी से हटा दिया गया।
इसके बाद समान्य वर्ग से ताल्लुक रखने वाली विमलेस उपरेती को नौकरी पर रखा गया।