देश भर में आज बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 131वीं जयंती मनाई जा रही है। भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। भीमराव अंबेडकर को ज्यादातर लोग संविधान निर्माता के तौर पर ही जानते हैं। लेकिन इसके अलावा वे भारतीय विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, मानवविज्ञानी, इतिहासकार और अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने समाज के निचले तबके के उत्थान के लिए अनेकों काम किये हैं। उनका पूरा जीवन सघर्षरत रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
संविधान निर्माण में रहा अहम योगदान
देश की आजादी के बाद भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा में कुल 379 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं थीं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। संविधान निर्माण के लिए जिस ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ उसके मुखिया के तौर पर अंबेडकर का निर्वाचन हुआ। उनकी भूमिका संविधान सभा की ड्राफ्टिंग को लेकर मजबूत होती गई। उन्होंने संविधान सभा के चर्चा का संचालन और नेतृत्व किया।
अंबेडकर ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों के विषय में संबंधित अनुच्छेदों पर बहस के दौरान अपना नजरिया सबके सामने रखा। बतौर ड्राफ्टिंग कमेटी अध्यक्ष बाबा साहेब ने कई समितियों की ओर से आए सभी प्रस्तावों को अनुच्छेदों में सूत्रबद्ध किया। संविधान की सम्पादकीय जिम्मेदारी भी मुख्य तौर पर अंबेडकर ने ही उठाई। जिसे बाद में ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य रहे टी.टी. कृष्णमाचारी ने संविधान सभा के सामने रखा।
भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। हालांकि उनका परिवार मूल रूप से रत्नागिरी जिले से ताल्लुक रखता था। अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था, वहीं उनकी माता भीमाबाई थीं। डॉ. अंबेडकर महार जाति के थे। ऐसे में उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा। बाबा साहेब बचपन से ही बुद्धिमान और पढ़ाई में अच्छे थे। हालांकि उस दौर में छुआछूत जैसी समस्याएं व्याप्त होने के कारण उनकी शुरुआती शिक्षा में काफी परेशानी आई। लेकिन उन्होंने जात पात की जंजीरों को तोड़ अपनी पढ़ाई पूरी की।
आज भले ही ज्यादातर लोग उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा के तौर पर याद करते हों, लेकिन डॉ अंबेडकर ने अपने करियर की शुरुआत एक अर्थशास्त्री के तौर पर की थी। डॉ अंबेडकर किसी अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले देश के पहले अर्थशास्त्री थे। उन्होंने 1915 में अमेरिका की प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में एमए की डिग्री हासिल की। इसी विश्वविद्यालय से 1917 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी भी की। इतना ही नहीं, इसके कुछ बरस बाद उन्होंने ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से भी अर्थशास्त्र में मास्टर और डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्रियां हासिल कीं। खास बात यह है कि इस दौरान बाबा साहेब ने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से डिग्रियां हासिल करने के साथ ही साथ अर्थशास्त्र के विषय को अपनी प्रतिभा और अद्वितीय विश्लेषण क्षमता से लगातार समृद्ध भी किया।
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