केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में सोमवार रात से बिजली संकट जारी है। यहां बिजली विभाग में कर्मचारी संघ की हड़ताल के कारण कई हिस्सों की बिजली गुल हो गई। जिससे दूरसंचार टावरों का संचालन भी बंद हो गया और प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी में बाधा आने लगी।
जानकारी के अनुसार प्रशासन द्वारा हड़ताल पर रोक लगाए जाने के बावजूद कर्मचारी काम पर नहीं लौट रहे। चंडीगढ़ बिजली विभाग के कर्मचारियों ने विभाग के निजीकरण के यूटी प्रशासन के फैसले के खिलाफ तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की थी। यूटी पॉवरमैन यूनियन के अध्यक्ष ध्यान सिंह का कहना है कि, निजीकरण से बिजली दरों में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा, “यह गलत हो रहा है और हम इसके विरोध में हैं।”
बिजली संकट के बीच डीजी सीओएआई, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि, टेलीकॉम ऑपरेटर और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता कुछ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के अभाव में वैकल्पिक स्रोतों की बैटरी, डीजी, सोलर पैनल आदि का उपयोग करके अपनी साइटों, एक्सचेंजों आदि को ध्यान में रखकर बिजली मुहैया कराने के लिए सभी उपाय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, विरोध-प्रदर्शन के चलते बिजली सप्लाई बाधित है।
हड़ताल पर सैकड़ों कर्मियों के विरोध-प्रदर्शन को देखा जाए तो शहर के कई इलाकों में गुरुवार तक बिजली मिलने की उम्मीद नहीं है। स्थिति ये है कि इनवर्टर और मोबाइल भी अब डिस्चार्ज हो चुके हैं, जिससे लोग परेशान हैं। हालात इतने खराब है कि अस्पतालों ने ऑपरेशन टाल दिए हैं। निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे कर्मचारी फाल्ट सुधारने तैयार नहीं हैं। ऐसे में हालात से निपटने के लिए प्रशासन ने सेना बुलाई है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस समस्या का संज्ञान लिया और आज बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को पेश होने के लिए कहा है। वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर ऑफ डीजी सीओएआई का कहना है कि, चंडीगढ़ के बिजली विभाग में कर्मचारी संघ की हड़ताल के कारण शहर के कई हिस्सों में बिजली गुल है। इसने दूरसंचार टावरों को भी प्रभावित किया है, जिससे कई क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी में बाधा आ रही है।