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प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का निधन, ‘आपका बंटी’ उपन्यास से मिली थी प्रसिद्धि

हिंदी की प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी का 91 साल की उम्र में सोमवार को हरियाणा के गुरुग्राम स्थित एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। मन्नू भंडारी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहीं थीं। उनका हरियाणा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां सोमवार दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली। मन्नू भंडारी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा।

हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए लोग उन्हें याद करते हैं। उनके निधन पर राजनीति से लेकर सहित्य जगत की हस्तियां उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दे रहीं हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर मन्नू भंडारी को श्रद्धांजलि दी है। अशोक गहलोत ने लिखा, “हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी जी के निधन पर गहरी संवेदनायें। उनकी रचनायें हिंदी साहित्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। ईश्वर उनके परिजनों एवं पाठकों को यह दुख सहने की शक्ति दें तथा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।”

मन्नू भंडारी का जन्म तीन अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले स्थित भानपुरा गांव में हुआ था। बताया जाता है कि मन्नू भंडारी के बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था, जो उनके माता-पिता ने रखा था। मगर, बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर मन्नू भंडारी रख दिया। वह प्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी थीं। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका के पद पर भी अपनी सेवाएं दीं।

‘अपका बंटी’ उपन्यास से हुईं थी प्रसिद्ध

मन्नू भंडारी ने कई बेहतरीन कहानियां और उपन्यास लिखे, लेकिन उन्हें ‘आपका बंटी’ से सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली। यह प्यार, शादी, तलाक और वैवाहिक रिश्ते के टूटने-बिखरने की कहानी है। इस पर ‘समय की धारा’ नामक फिल्म भी बनी है। मन्नू भंडारी का एक अन्य उपन्यास ‘महाभोज’ राजनीति सामाजिक जीवन मे आई हुई मूल्यहीनता, तिकड़मबाजी के बारे में बताता है। इस उपन्यास में सरोहा गांव की कहानी है, जहां बिसेसर नाम के पात्र की मृत्यु के बाद उसे राजनीतिक केंद्र में रखकर सभी राजनेता अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं।

यही नहीं इस किताब का बांग्ला, अंग्रेजी और फ्रेंच में अनुवाद भी हुआ है। इसके अलावा मन्नू भंडारी की कहानी ‘यही सच है’ पर ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनाई गई। इसे बासु चटर्जी ने बनाया था। मन्नू भंडारी ने ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘आंखों देखा झूठ’ और ‘त्रिशंकु’ जैसी कई कहानियां लिखीं।

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