वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। चुनाव आयोग से नामांकन रद्द होने के बाद अब उनके ऊपर वाराणसी के कैंट थाने में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ है। जिस दिन उनका पर्चा खारिज हुआ, उसी दिन उनके साथियों ने कचहरी परिसर में डीएम पोर्टिको के नीचे धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की थी। इसके बाद स्थानीय वकील ने लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि धारा 144 लागू है और यह काम आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।
इस मामले में तेज बहादुर का कहना है कि 'चुनाव आयोग और प्रशासन मेरे खिलाफ लगातार साजिश कर रहा है। पहले मेरा नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया जिससे मैं लड़ाई से बाहर हो जाऊं और जब मैंने गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी का प्रचार शुरू कर दिया तो मेरे मिशन को फेल करने के लिए प्रशासन ने बीजेपी के इशारे पर मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। बीजेपी जानती है कि असली चौकीदार कहीं नकली को टक्कर न दे दे।'
नामांकन पत्र खारिज होने के बाद तेज बहादुर यादव ने दावा किया था कि उन्होंने चुनाव अधिकारियों को आवश्यक दस्तावेज सौंपे थे। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा था, "मैंने बीएसएफ में रहते हुए उसी बारे में आवाज बुलंद की, जिसे मैंने गलत पाया। मैंने न्याय की उस आवाज को बुलंद करने के लिए वाराणसी आने का फैसला किया था। अगर मेरे नामांकन में कोई समस्या थी तो एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दाखिल करने (मेरे कागजात) के समय उन्होंने मुझे इस बारे में क्यों नहीं बताया गया