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गांधी जयंती पर क्यों ट्रेंड करने लगा ‘गोडसे जिंदाबाद’? वरुण गांधी ने लगा डाली क्लास

डेस्क |

2 अक्टूबर को हर साल गांधी जयंती मनाई जाती है। इस बार गांधी जी की 152वीं जयंती पर कुछ ऐसा हुआ जिसका हर जगह विरोध होना लाजमी है। आज 2 अक्टूबर 2021 को गांधी जयंती के मौके पर सोशल मीडिया के ब्लू बर्ड ‘ट्वीटर’ पर गांधी जी की हत्या करने वाले नाथू राम गोडसे के ‘जिंदाबाद’ का नारा ट्रेंड कर रहा है। ये नारा ट्रेंड कर रहा है या फिर कुछ एक विचारधारा के लोगों द्वारा ट्रेंड करवाया जा रहा है… इसकी शिनाख्त होनी जरूरी है।

इसे लेकर भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने कहा कि लोग ऐसा करके देश को शर्मसार कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा ‘भारत हमेशा आध्यात्मिक माहशक्ति रहा है। लेकिन ये महात्मा ही हैं जिन्होंने हमारे राष्ट्र के आध्यात्मिक आधार को अपने अस्तित्व के माध्यम से बताया और हमें एक नैतिक अधिकार दिया जो आज भी हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। गोडसे जिंदाबाद का ट्वीट करने वाले हमारे राष्ट्र को गैर जिम्मेदाराना तरीके से शर्मसार कर रहे हैं।’

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वरुण गांधी के अलावा कई और लोग भी ट्वीटर पर इस ट्रेंड पर आपत्ति जता रहे हैं। ये सवाल जरूर आज की जनता से जुड़ा है कि गोडसे का नाम और आज कल का ये ट्रेंड कुछ साल पहले ही क्यों सुर्खियों में आया?

कई लोगों का इसमें जवाब होगा कि आजादी के बाद गांधी परिवार ने जनता को सच्चाई का आईना नहीं दिखाय़ा। लेकिन वाकेई में ऐसा है या नहीं… ये तो आप खुद समझ सकते हैं। जब भाजपा के बड़े दिग्गज जैसे अटल, आडवाणी भी गांधी जी मानते-पूजते हैं तो शायद इसमें सरकारों द्वारा सच्चाई छिपाने वाली जैसी कोई बात नज़र नहीं आती। अग़र ऐसा होता तो उस वक़्त की भाजपा या फ़िर विपक्ष में बैठी पार्टियों इसपर जरूर ग़ौर करती। लेकिन अग़र इतिहास खंगालेंगे तो इसमें गांधी की बुराई पर गोडसे की बढ़ाई आपको कहीं नहीं मिलेगी। मसलन, कुछ लेखकों ने इसे अपने अंदाज में जरूर लिखा… पर यहां मसला विचारधार का सामने आया। असल में सारा मसला है ही विचारधारा का, जो कुछ सालों से लोगों की पर्सनल ट्यूनिंग तक खराब कर रही है।

कुछ साल पहले एक अलग विचारधारा के लोग गांधी बनाम गोडसे के नाम को तरजीह देने लगे। गोडसे के पक्ष में अलग विचारधारा में लिखे गए किताब और कुछ फेसबुकिया ज्ञान खूब ट्रेंड में आने लगा। चूंकि 2016 के आख़िर में इंटरनेट का ज़माना सीधे 2 जी से 4जी में जंप कर चुका था तो लोग उसे तेजी से पढ़ने और शेयर करने लगे। कुछ प्रबुद्ध लोगों ने तालिमी सफ़र को तरजीह देते हुए इस विचारधारा को खुद से दूर रखा और गांधी जी ही उनके मख़दूम रहे। वक़्त गुजरता गया और कुछ एक विचारधारियों ने गांधी को देश का हत्यारा तक बताना शुरू कर दिया। ज्ञानियों की माने तो ये लोग सिर्फ एक विचारधारा से जुड़े लोग है जो खुलकर गांधी का विरोध करते हैं। लेकिन जब बात विचारधारा से जुड़े बड़े लोगों पर आए जाए तो गांधी जी पूजनीय बन जाते हैं।

भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा जैसे कई नेता भी गांधी के खिलाफ बयान दे चुके हैं। कुछ साल पहले तो गांधी जी के पुतले को गोली मारकर जश्न तक मनाया गया। गोडसे की पक्ष में तकरीर करना कुछ एक नेताओं का सलाना काम सा हो गया है। लेकिन क्या गांधी जी का ऐसा विरोध औऱ आज कल का ये ट्रेंड राष्ट्रीय शर्म नहीं है। मसलन, आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को गांधी जी की गुजरगाह पर चलना चाहिए लेकिन कुछ एक विचारधारा के लोग अपने देश का इतिहास बदलने की राह में है।

देश प्रदेश की सत्ताधारी सरकारें भी ऐसे लोगों के खिलाफ कोई क़दम नहीं उठाती। जब एक राष्ट्रपिता का लोग अपमान कर रहे हैं तो इसमें कोर्ट तक कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि कि सत्ताधारी सरकारों की विचारधारा भी क्या ऐसी ही है?? अगर हां, तो फिर क्यों विदेश में गांधी का नाम का सहारा लिया जाता है। और अगर नहीं… तो सरकार ऐसे ट्रेंड और शरारती तत्वों को क्यों गांधी बनाम गोडसे के पक्ष में बोलने की अनुमति दे रही है। अंत में सिर्फ कहेंगे… गांधी जी एक व्यक्ति नहीं विचारधारा है।