Follow Us:

हिमालय में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा, दोगुना हुई ग्लेशियर से बनने वाली झीलें

डेस्क |

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया में मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है। जल-वायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर पृथवी के बर्फिले इलाकों में देखा जा रहा। इसी कड़ी में पिछले 40 सालों में हिमालय के ग्लेशियरों में भी भारी बदलाव दर्ज किया गया है।

हमिरपुर एनआईटी के प्रोफेसर चंद्र प्रकाश के अध्ययन के मुताबिक उच्च हिमालय और पीर पंजाल की पर्वत श्रेणियों में 1,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की झीलें पिछले 40 सालों में दोगुनी हो गई हैं। 1971 में इन की संख्या 77 थी जोकि अब बढ़ कर 155 हो गई है। और तो और पहले की झीलों का क्षेत्रफल भी बढ़ा है।

प्रोफेसर नें ये अध्ययन इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट के डाटा और नासा की 1971 की कोरोना एरियल फोटोग्राफ की मदद ने किया है। सबसे ज्यादा बदलाव चिनाब नदी के बेसिन में रिकार्ड हुआ है। यहां 1971 में 14 झीलें थी जोकि अब बढ़ कर 48 हो गई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव ज्यादा बारिश, भूस्खलन और ग्लेशियरों के पिघलने से हो रहा है। ग्लेशियर झीलों के टुटने से जान-मान का खतरा भी पैदा हो गया है।