वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें 8 साल के अपने रिकॉर्ड हाई लेवल पर हैं. ऐसे में आर्थिक मामलों के जानकार देश में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) समेत तमाम जरूरी सामानों की कीमतों में बड़े उछाल की आशंका जाहिर कर रहे हैं. बेकाबू हो रही इस महंगाई का असर फिलहाल जनता तक नहीं पहुंचा है. लेकिन, कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के चुनाव (Election 2022) खत्म होने तक ही यह राहत है. उधर राज्यों के चुनाव खत्म और इधर महंगाई आम लोगों के घरों में धावा बोल देगी.
विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे और इसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें और ज्यादा मंहगी होंगी. एक अनुमान के मुताबिक तेल की कीमतों में 10 रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है. इसके पहले यह स्थिति साल 2014 में थी. जानकारों का मानना है कि यह कीमत अभी और आगे जाएगी और 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका इसलिए जाहिर की जा रही है , क्योंकि जब 1 दिसबर 2021 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 69 डॉलर प्रति बैरल पहुंची तब पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपने आप में हाई लेवल पर थीं. लेकिन, बीते ढाई महीने में ही कच्चे तेल की कीमतों में 37% की तेजी आ चुकी है. यही नहीं अगर रूस और यूक्रेन में जंग छिड़ती है तो कीतमें और आसमान छू लेंगी और महंगाई से जनता और बेहाल हो सकती है. क्योंकि, अभी से मांग के हिसाब से कच्चे तेल की आपूर्ति भारत को नहीं मिल पा रही है.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की भविष्यवाणी आर्थिक मामलों के जानकार बढ़ती कीमतों के रेशियो से कर रहे हैं. मसलन, कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर पेट्रोल और डीजल के दामों में औसतन 55 से 60 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो जाती है. ऐसे में यदि क्रूड ऑयल की कीमतें 100 के पार जाती हैं तो 10 रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी तय है.