केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में श्रमिक संगठन दो दिन की देशव्यापी हड़ताल पर हैं। आज दूसरा दिन है। पहले दिन सोमवार को बैंकिंग कामकाज, परिवहन और खनन एवं उत्पादन पर हड़ताल का असर पड़ा। पश्चिम बंगाल और केरल में कामकाज सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। लेफ्ट शासित केरल में काफी गहमागहमी देखी गई। यहां हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए तत्काल आदेश जारी करे, फिर भी वे ऐसा करते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाए।
केरल हाई कोर्ट की फटकार पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को हड़ताल पर शासनादेश जारी करना पड़ा। आदेश में हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की चेतावनी दी गई है।
कुल 10 संगठन हाल में किए श्रम सुधारों और निजीकरण की कोशिशों का विरोध कर रहे हैं। वे मनरेगा के लिए बजट बढ़ाने और संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी. चले ने सीसी नायर एस. की जनहित याचिका पर यह अंतरिम आदेश जारी किया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि अदालत का मानना है कि सरकारी कर्मियों का हड़ताल करना अवैध है क्योंकि उनकी सेवा शर्तों में ऐसा करना प्रतिबंधित है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जब भी कोई संगठन हड़ताल करे तो आने जाने में सुविधा के लिए परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को केंद्र सरकार के खिलाफ हड़ताल पर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और दो दिन तक काम का बहिष्कार करने के दौरान उन्हें वेतन का भुगतान करेगी। सरकारी कर्मचारी 28 और 29 मार्च को काम का बहिष्कार कर रहे हैं। सेंट्रल ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
चीफ जस्टिस एस. मणिकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 के तहत ट्रेड यूनियन की गतिविधियों के द्वारा शासन को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह जन कल्याणकारी सरकार का फर्ज है कि वह न केवल नागरिकों की रक्षा करे बल्कि सभी सरकारी कामकाज भी पहले की तरह जारी रहना सुनिश्चित करे। दूसरे शब्दों में सरकारी कामकाज किसी भी तरह से सुस्त या प्रभावित नहीं हो सकते हैं।’
कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य को नोटिस जारी कर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने सवाल किया है कि क्या यूनियन किसी ऐसे मसले पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान कर सकती है जो ट्रेड यूनियन विवाद से जुड़ा न हो। केरल में एलडीएफ सरकार है और हड़ताल केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुलाई गई है जिसका कथित तौर पर श्रमिकों, किसानों और आम लोगों पर असर पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया है कि वह सरकार को निर्देश दे कि सोमवार और मंगलवार को काम से गैरहाजिर रहने वाले कर्मचारियों की सैलरी काटी जाए। कोर्ट ने गौर किया कि सोमवार को केरल की लगभग सभी दुकानें, बिजनस प्रतिष्ठान और सरकारी दफ्तर बंद रहे और आने जाने के लिए गाड़ी की सुविधा भी नहीं मिल रही थी।
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…
Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…