देश भर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसका अपना महत्व होता है। टीचर्स और स्टूडेंट का रिश्ता अनोखा होता है। इस दिवस पर अपने आदर्शों अर्थात टीचर को विशेष सम्मान दिया जाता है। गुरुओं के सम्मान के लिए आमतौर पर हम उन्हें उपहार देते हैं, स्कूल, कॉलेजों में स्पीच औऱ भाषण समेत विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं। लेकिन, कोरोना और लॉकडाउन के कारण हम उन्हें विशेज, मैसेज, कोट्स आदि भेजेंगे और उन्हें स्पेशल फील करवायेंगे एवं ऑनलाइन स्पीच औऱ भाषण देंगे।
टीचर्स डे सभी स्कूल-कॉलेजों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। हम सब की लाइफ में गुरुओं का अपना एक अलग ही महत्व होता है। एक शिक्षक चाहे तो अपने छात्र का जीवन बना दे और अगर चाहे तो बिगड़ भी सकता है। कामयाबी तक तो हर कोई पहुंचना चाहता है लेकिन कामयाबी की उन सीढ़ियों पर चलना सिर्फ हमारे गुरू ही हमें सिखाते हैं।
इस दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। उनका जन्मदिन भारत में टीचर्स डे के तौर पर ही मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। राजनीति में आने से पहले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक सम्मानित अकादमिक थे। वह कई कॉलेजों में प्रोफेसर थे।
वे ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे। कलकत्ता विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में 1937 से 1941 तक कार्य किया। 1946 में युनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस दिन शिक्षक दिवस बनाए जाने की कहानी यह है कि भारत का राष्ट्रपति होने के बाद उनके कुछ दोस्तों और शिष्यों ने उनसे उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति देने के लिए कहा। इस पर उन्होंने कहा कि मेरे जन्मदिन का जश्न मनाने की बजाय, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा। तब से उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हर देश में शिक्षक दिवस अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है।