दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में पिछले दो दिनों से फैली हिंसा को रोकने के दौरान जान गंवाने वाले हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को मंगलवार को किंग्सवे कैंप स्थित पुलिस लाइन में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। जानकारी के अनुसार कॉन्स्टेबल बुखार से ग्रसित थे।
डयूटी के दौरान जान गंवाने वाले इस वीर सिपाही को श्रद्धांजलि देने खुद दिल्ली पुलिस के कमिश्नर अमूल्य पटनायक पहुंचे। इसके अलावा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और उपराज्यपाल अनिल बैजल भी पुलिस लाइन पहुंचे और हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को श्रद्धांजलि दी गई।
कौन थे रतनलाल?
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, रतन लाल मूल रूप से राजस्थान के सीकर में गांव तिहावली के रहने वाले थे। दिल्ली में वे बुराड़ी में अमृत विहार में पत्नी पूनम, दो बेटियों सिद्धि (13), कनक(10) और बेटे राम (5) के साथ रहते थे। पूनम गृहिणी हैं। सिद्धि 7वीं, कनक 5वीं और राम पहली कक्षा में पढ़ते हैं। तीनों बच्चे एनपीएल स्थित दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल में हैं। रतनलाल का छोटा भाई दिनेश गांव में रहता है और एक भाई मनोज बंगलूरू में नौकरी करता है।
रतनलाल साल 1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही भर्ती हुए थे। फिलहाल वे एसीपी गोकलपुरी ऑफिस में तैनात थे। सोमवार को वे ड्यूटी पर थे तो पत्नी ने हालचाल जानने के लिए फोन किया था। पत्नी को टीवी से पता लगा था कि रतनलाल के साथ अनहोनी हो गई है। तभी से वे फोन कर रही थीं। फोन किसी ने नहीं उठाया। कुछ देर में पता चल गया कि रतनलाल शहीद हो गए हैं। यह खबर सुनकर पूनम बेहोश हो गई थीं।
उत्तम नगर से रतनलाल के घर पहुंचे एक रिश्तेदार ने कहा कि उन्हें टीवी से पता लगा है कि रतनलाल की मौत हो गई है। रिश्तेदार का कहना था कि पुलिसकर्मी कुछ बता नहीं रहे हैं। सुनने में आया है कि उनके सिर में गोली लगी थी, जबकि कुछ पुलिसकर्मी बता रहे थे कि रतनलाल के सिर में पत्थर लगा है।