देश की आबादी में पहली बार पुरुषों की आबादी की तुलना में महिलाओं की आबादी ज्यादा हो गई है. देश में प्रजनन दर में भी कमी आई है. नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के अनुसार, देश में अब 1,000 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी 1,020 हो गई है.
सर्वे में एक और बड़ी बात निकलकर सामने आई है. प्रजनन दर या एक महिला पर बच्चों की संख्या में कमी दर्ज की गई है. सर्वे के अनुसार औसतन एक महिला के अब केवल 2 बच्चे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों से भी कम है. माना जा रहा है कि भारत आबादी के मामले में पीक पर पहुंच चुका है. हालांकि, इसकी पुष्टि को नई जनगणना के बाद ही हो पाएगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को के आंकड़े जारी किए हैं. प्रजनन दर घटने का असर देश की आबादी घटने में दिखेगा यहा नहीं, इसका पता तो अगली जनलगणना में ही पता चलेगा. NFHS के पांचवें राउंड के सर्वे में 2010-14 के दौरान पुरुषों में जीवन प्रत्याशा 66.4 साल है जबकि महिलाओं में 69.6 साल.
सर्वे में कहा गया है कि बच्चों के जन्म का लिंग अनुपात अभी भी 929 है. यानी अभी भी लोगों के बीच लड़के की चाहत ज्यादा दिख रही है. प्रति हजार नवजातों के जन्म में लड़कियों की संख्या 929 ही है. हालांकि, सख्ती के बाद लिंग का पता करने की कोशिशों में कमी आई है और भ्रूण हत्या में कमी देखी जा रही है. वहीं, महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा जी रही हैं.
NFHS का सर्वे दो चरणों में 2019 और 2021 में किया गया. देश के 707 जिलों के 6,50,000 घरों में ये सर्वे किया गया. दूसरे चरण का सर्वे अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुड्डुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया.