राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने जर्मनी की वाहन निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन पर डीजल कारों में उत्सर्जन का स्तर छिपाने वाले उपकरण का इस्तेमाल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में वीरवार को 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। एनजीटी ने कंपनी को दो महीने के भीतर यह राशि जमा कराने को कहा है। हालांकि कंपनी ने कहा कि उसने भारत स्टेज-चार के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है। उसने कहा कि परीक्षण के परिणाम सड़क पर किये गये परीक्षणों पर आधारित है जिसके लिये तय मानक नहीं है।
फॉक्सवैगन पर आरोप है कि उसने अपनी डीजल गाड़ियों में कार्बन उत्सर्गन घटाने की जगह ऐसे चिप सेट का इस्तेमाल किया, जिससे प्रदूषण जांच के आंकड़ों में हेराफेरी की जा सके। कंपनी ने साल 2015 में पहली बार ये बात कबूल की थी कि उसने 2008 से 2015 के बीच 1.11 करोड़ गाड़ियों में डिफिट डिवाइस लगाया था। बता दें कि ये सभी गाड़ियां दुनियाभर में बेची गई थी।
इस डिवाइस की मदद से लैब टेस्ट के दौरान कार से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के आंकड़ों में छोड़छाड़ की जा सकती है। इस घोटाले के बाद कंपनी को काफी नुकसान हुआ है। जर्मनी में ही कंपनी को 8,300 करोड़ रुपए का जुर्माना देना पड़ा है।
भारत में एनजीटी को फॉक्सवैगन की गाड़ियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की बात सामने आने पर जांच की गई थी। इस जांच के बाद कार कंपनी ने बाजार से 3.23 लाख वाहनों को वापस बुलाकर उसमें नए डिवाइस लगाने की बात कही थी, लेकिन कंपनी ने इस कारों में ऐसे डिवाइस फीट किए, जो सॉफ्टवेयर की मदद से कार्बन उत्सर्जन के आंकड़ों में हेराफेरी कर सकें।