एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी पर एक-एक करोड़ का जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले पानी को ट्रीट ना करने और उसका सही से इस्तेमाल न करने के चलते लगाया गया है। एनजीटी ने जुर्माने की रकम को 1 महीने के अंदर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराने के आदेश दिए हैं।
एनजीटी ने चीफ सेक्रेटरी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले पानी को ट्रीट करने के बाद उसके इस्तेमाल को लेकर पूरा एक्शन प्लान बनाकर कोर्ट को देने के निर्देश दिए थे। लेकिन चीफ सेक्रेट्री ने इस पर कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया। जल बोर्ड ने एनजीटी में यह हलफनामा दे दिया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट होकर निकले पानी का अभी भी पूरा इस्तेमाल दिल्ली में नहीं हो पा रहा है।
बता दें कि दिल्ली में 20 जगहों पर तकरीबन 34 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं, जिनकी क्षमता 607 एमजीडी पानी को ट्रीट करने की है, लेकिन फिलहाल 460 एमजीडी पानी ट्रीट किया जा रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा जो पानी ट्रीट किया जा रहा है उसमें से एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल ना होने के चलते यूं ही बह कर बर्बाद हो जाता है। एनजीटी का सुझाव था कि जल बोर्ड पाइपलाइन बिछाकर इस पानी को स्टोर करे और जिस एजेंसी को जहां इसकी जरूरत हो वहां इसे उपलब्ध कराए। हॉर्टिकल्चर विभाग को खासतौर से इस पानी के इस्तेमाल को लेकर निर्देश दिए गए थे।
दिल्ली में पार्क और ग्रीन बेल्ट को इस पानी को दिए जाने का प्लान है ताकि पार्क और ग्रीन बेल्ट सिंचाई के लिए भूमिगत जल को निकाले ही नहीं। इससे ग्राउंड वॉटर की बड़ी मात्रा संरक्षित की जा सकती थी।मंगलवार की सुनवाई के बाद जब कोर्ट को यह जानकारी मिली की एसटीपी से निकलने वाले पानी को गटर में यूं ही बहा दिया जाता है तो इस बात को लेकर एनजीटी नाराज हो गया।