<p>भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की इस धारा 497 (एडल्टरी) की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में मंथन शुरू हो गया है। व्यभिचार (विवाहित महिला के गैर पुरुष से संबंध) को लेकर भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 497 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई में इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस धारा के तहत अगर किसी विवाहित महिला का गैर पुरुष से संबंध हो और अपराध सिद्ध होने पर सिर्फ पुरुष को सजा मिलती है। ऐसे में याचिका कहती है कि फिर महिला को क्यों छूट मिली हुई है?</p>
<p>दूसरे की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने पर पुरुष व्याभिचार (एडल्टरी) का दोषी है लेकिन उसका साथ देने वाली महिला दोषी नहीं है। कोर्ट ने इसे समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन मानते हुए कहा कि व्याभिचार तलाक लेने का एक आधार हो सकता है लेकिन व्याभिचार के अपराध में एक पक्ष (महिला) को पूरी तरह छोड़ दिया जाना अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकरा) का उल्लंघन है।</p>
<p>इस बात पर भी चर्चा हुई कि अगर पति की सहमति है तो उसकी पत्नी से संबंध बनाने वाला व्यक्ति दोषी नहीं माना जाएगा। इस पर वकील मिनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इस अपराध की शिकायत भी सिर्फ पति या पति का रिश्तेदार पति की सहमति से करा सकता है। यानि महिला एक वस्तु के समान समझी गई है। अदालत का समय समाप्त होने के कारण सुनवाई गुरुवार तक के लिए टल गई।</p>
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