'एनकाउंटर प्रदेश' से मतलब तो आप समझ ही गए होंगे। उत्तर प्रदेश में योगी राज का ऐसा असर है कि अब पुलिस अपराधियों को छोड़ आम आदमी का एनकाउंटर करना शुरू कर दिया है। बीती रात 12 बजे लखनऊ में पुलिस ने 'एपल' कंपनी के एरिया मैनेजर को ही गोली मार दी।
एपल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी को गोमती नगर इलाके में पुलिस ने संदिग्ध समझकर गोली चला दी। पुलिस का कहना है कि देर रात नाके पर विवेक को पुलिस ने रोकने की कोशिश की। लेकिन, विवेक नहीं रुके और उन्होंने अपनी कार फर्राटे के साथ आगे बढ़ा दी। इस दौरान पुलिस ने संदिग्ध समझकर गोली चला दी। गोली विवेक के सिर में लगी और उनका इलाज दौरान मौत हो गई।
विवेक के दो बच्चे और एक पत्नी हैं। उनके परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया है। मामले में यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) ने घटना की जिम्मेदारी ली है और माना है कि जिस कॉन्सटेबल ने गोली चलायी है वह बड़ी चूक है। उन्होंने एक न्यूज़ चैनल से मुख़ातिब होते हुए कहा कि हालात ऐसे नहीं थे कि गोली मार दी जाए। यहां पर हमारे कॉन्सटेबल से गलती हुई है।
लेकिन, इस मामले में बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है। क्योंकि, इस घटना के दौरान विवेक तिवारी के साथ उनकी दोस्त समा भी गाड़ी में बैठी थीं। समा पूरे घटना की चश्मदीद गवाह हैं। मगर पुलिस ने उन्हें एक घर में नज़रबंद कर दिया है और मीडिया से मिलने की पूरी मनाही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर चश्मदीद पर पुलिस कोई दबाव तो नहीं बना रही है।
पिछले कुछ महीनों से क़ानून को ताक पर रखकर उत्तर प्रदेश में धड़ाधड़ एनकाउंटर और एंटी रोमियो स्कॉयड के रूप में पुलिसिया लैठत पैदा हुए हैं, उसने योगी सरकार की व्यवस्था पर धब्बा लगा दिया है। दो दिन पहले ही मेरठ में पुलिस ने एक महिला को इसलिए महिला को पकड़ा और पीटा क्योंकि वह अपने मुस्लिम दोस्त के साथ बैठी थी। पुलिस ने महिला के लिए अमर्यादित टिप्पणी की और मुस्लिम युवक को भी हिरासत में लिया था। उत्तर प्रदेश में पुलिस क़ानून की किताब से लेकर घर के गार्जियन की पूरी जिम्मेदारी अकेले ही अदा कर रही है और अब मर्डर करके क़ातिलों की जिम्मेदारी भी खुद के कंधे पर ले लिया है।